पंजाब में आयुष्मान योजना धड़ाम हो गई है। इस योजना के तहत 40 लाख लोगों को एक महीने से इलाज नहीं मिल पा रहा है। अब तक 50 हजार से अधिक मरीज बिना इलाज के ही अस्पतालों से लौट गए चुके हैं। दरअसल, योजना का बकाया 100 करोड़ से अधिक का भुगतान न होने के कारण निजी अस्पतालों ने आयुष्मान के मरीजों के इलाज पर रोक लगा दी है।
पंजाब इन दिनों वित्तीय संकट से जूझ रहा है। राज्य पर लाखों करोड़ रुपये का कर्ज है। कर्जदार पंजाब के कारण राज्य में संचालित होने वाली आयुष्मान योजना पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। योजना के तहत राज्य में पंजीकृत 700 निजी अस्पतालों का 100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान न होने के कारण प्रबंधन ने मरीजों के इलाज पर योजना के तहत रोक लगा दी है।
चिंताजनक बात है कि इन हजारों मरीजों में अधिकांश वह मरीज हैं, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गरीब लाभार्थी आयुष्मान योजना के बिना निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च नहीं उठा सकते हैं। सरकारी व्यवस्था में इन गंभीर बीमारियों का इलाज संभव नहीं है।
बढ़ गई है शिशु मृत्यु दर
निजी अस्पतालों की ओर से योजना के तहत इलाज नहीं दिए जाने का सबसे ज्यादा प्रभाव बीमार नवजात शिशुओं पर पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि सरकारी व्यवस्था में नवजात देखभाल की उपलब्धता में कमी के कारण राज्य की शिशु मृत्यु दर भी बढ़ गई है। निजी अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि लंबे समय से बकाया राशि का भुगतान न होने के कारण उन्हें इस योजना को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।