महाराष्ट्र में सरकार बदलने से बड़ी हुई शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई, सियासी ड्रामे से धूमिल हो रही छवि

Maharashtra

भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने को लेकर जल्दी में नहीं है। असल में भाजपा शिवसेना के आंतरिक संघर्ष के नतीजों के आधार पर फैसला करेगी। फिलहाल भाजपा शिवसेना के संघर्ष को इसके नगर निगमों, नगर निकायों व कस्बों तक के स्तर पर उतरने का इंतजार कर रही है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में मौजूदा सत्ता संघर्ष केवल राज्य में सत्ता परिवर्तन का नहीं है, बल्कि शिवसेना के अस्तित्व का है।

भाजपा नेता ने दावा किया कि असल में एनसीपी चाहती है कि शिवसेना पूरी तरह से खत्म हो जाए, क्योंकि दोनों ही दलों की मराठा राजनीति पर गहरी पकड़ है। स्वाभाविक तौर पर शिवसेना के नहीं होने का लाभ एनसीपी उठाना चाहेगी, इसी वजह से एनसीपी शिवसेना को अपनी मूल विचारधारा और कोर मतदाताओं से दूर करने में जुटी है।

उन्होंने कहा कि सीएम ठाकरे इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हैं, जबकि ठाकरे बिना जिद के मुख्यमंत्री पद छोड़ देते, तो यकीनन उन्हें जनता की सहानुभूति मिलती, लेकिन उनके इस अड़ियल रवैये से लोगों के बीच उनकी छवि खराब हो रही है। हालांकि, भाजपा नहीं चाहती कि बालासाहेब ठाकरे की सियासी विरासत इस तरह धूल में मिल जाए, इसी वजह से एकनाथ शिंदे को मजबूत किया जा रहा है।

शिंदे गुट का कांग्रेस और एनसीपी से 36 का आंकड़ा
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे गुट कांग्रेस-एनसीपी से खार खाये बैठा है। बागी 38 विधायकों की एक ही मांग है कि शिवसेना महाविकास आघाड़ी से बाहर निकले। वह नहीं चाहते कि शिवसेना का गठबंधन कांग्रेस-एनसीपी से बना रहे। बागियों और कांग्रेस-एनसीपी के बीच 36 के आंकड़े की बड़ी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है। शिवसेना विधायकों के कुल 55 आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलता है कि 21 विधायकों ने चुनाव में एनसीपी उम्मीदवार को हराया है। वहीं, कांग्रेस के 15 उम्मीदवारों से लोहा लेकर विधानसभा पहुंचे हैं।

एनसीपी विधायकों को 700-800 करोड़ शिवसेना के विधायकों को 50-55 करोड़
शिवसेना के बागी विधायक महेश शिंदे ने दावा किया कि शिवसेना के विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 50 से 55 करोड़ रुपये की राशि दी गई, जबकि एनसीपी के विधायकों को 700 से 800 करोड़ रुपये मिले। यहां तक कि एनसीपी के उन विधायकों को भी ज्यादा पैसा दिया गया, जिन्हें पहले के चुनावों में शिवसेना नेताओं ने हराया था। शिवसेना के कई विधायकों को तो कार्यक्रमों में भी आमंत्रित नहीं किया जा रहा था। 

संकट के बीच ठाकरे परिवार के पीछे खड़ी शिवसेना कार्यकारिणी, बैठक में पारित किए गए छह प्रस्ताव
शिवसेना में बगावत के बाद सत्ता और पार्टी की विरासत को बचाने में जुटी शिवसेना ने शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक बुलाई। बैठक में कुल 6 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर पूरा भरोसा जताते हुए उन्हें बागियों के खिलाफ कार्रवाई का सर्वाधिकार सौंप दिया गया। हालांकि बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे को शिवसेना नेता पद से हटाने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ। 

शिवसेना भवन दादर में हुई इस बैठक में पार्टी के बागी विधायकों की निंदा की गई और मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे कामकाज की प्रशंसा करते हुए अभिनंदन प्रस्ताव पारित हुआ। इसके साथ ही, मुंबई मे हुए विकास कार्यों के लिए उद्धव ठाकरे के पुत्र और राज्य सरकार के मंत्री आदित्य ठाकरे का भी अभिनंदन किया गया।

बागी गुट बोला- हमने पार्टी नहीं छोड़ी, शिंदे हमारे नेता
महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार को संकट में डालने वाले बागी शिवसेना विधायकों ने शनिवार को कहा कि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी है। बागी गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा, हमारे पास दो तिहाई विधायक हैं और इसलिए एकनाथ शिंदे अब भी शिवसेना विधायक दल के नेता हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471