GST Council : आज होगा कसीनो और ऑनलाइन गेम पर फैसला, राज्यों ने कहा- घाटे की भरपाई के लिए पांच साल और दें जीएसटी मुआवजा

GST Tax

जीएसटी परिषद की चल रही बैठक में विपक्ष शासित राज्य जीएसटी में राजस्व बंटवारे के नियम को बदलने या मुआवजे को पांच साल के लिए बढ़ाने पर अड़े हैं। जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को शुरू किया गया था। इसके तहत राज्यों को होने वाले घाटे के एवज में 5 साल तक मुआवजा देने का प्रावधान था। यह प्रावधान इसी महीने खत्म हो रहा है। राज्यों ने मुआवजे को लेकर सख्त रवैया अपनाया है। इसके अलावा कसीनो, ऑनलाइन गेम और घुड़सवारी जैसे मामलों में जीएसटी की दर का फैसला आज लिया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के वित्तमंत्री त्रिभुवन देव सिंह ने कहा, केंद्र और राज्यों के बीच जीएसटी से कमाई को समान रूप से बांटने के मौजूदा नियम को बदला जाए। राज्यों को इसका 70-80 फीसदी हिस्सा दिया जाए। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, हम 14 फीसदी संरक्षित राजस्व प्रावधान को जारी रखने का प्रस्ताव पेश कर रहे हैं। इसे जारी नहीं रखा जाता है तो सीजीएसटी और एसजीएसटी के लिए 50-50 फीसदी के नियम को एसजीएसटी 80-70 व सीजीएसटी 20-30% में बदल दिया जाना चाहिए।

क्रिप्टो पर भी मिले सुझाव
अधिकारियों की एक समिति ने क्रिप्टोकरेंसी व अन्य वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों की कर योग्यता पर निर्णय को रोकने का सुझाव दिया है।

डिनर पर भी हुई चर्चा
हरियाणा सरकार ने जीएसटी परिषद के सदस्यों के लिए पिंजौर गार्डन में डिनर का आयोजन किया। इसमें विभिन्न मांगों पर चर्चा हुई।

समान रूप से होता है जीएसटी का बंटवारा

  • इस समय जीएसटी से मिलने वाले राजस्व को केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है। राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि परिषद द्वारा किए गए फैसले बाध्यकारी नहीं हैं और राज्यों को उन पर टिके रहने की जरूरत नहीं है।
  • कोर्ट के फैसले को कुछ राज्यों ने कराधान निर्धारित करने की शक्ति वाले राज्यों के रूप में देखा है। सभी राज्यों ने एक ही मांग की कि जीएसटी के मुआवजे को पांच साल तक बढ़ा दिया जाए।

कसीनो, ऑनलाइन गेम पर फैसला आज

  • कसीनो, ऑनलाइन गेम और घुड़सवारी जैसे मामलों में जीएसटी की दर का फैसला आज होगा। इन सभी पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने की मांग की गई है।
  • प्रतिदिन एक हजार रुपये से कम किराये वाले होटल के रूम को 12 फीसदी जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की गई है। यह अभी जीएसटी के दायरे से बाहर है।

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