Ernst & Young : नैतिक परीक्षा में ही ऑडिटरों की धोखाधड़ी, 790 करोड़ का लगा जुर्माना

दुनिया की सबसे बड़ी ऑडिटिंग फर्म अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) के सैकड़ों ऑडिटरों के नैतिक परीक्षा में धोखाधड़ी करते पकड़े जाने पर फर्म 790 करोड़ जुर्माना भरेगी। अमेरिकी प्रतिभूति नियामक (एसईसी) के मुताबिक, फर्म के सैकड़ों ऑडिटरों ने पेशेवर लाइसेंस बरकरार रखने के लिए होने वाले इम्तिहान में 2017-2021 तक लगातार नकल की।

कंपनी को पता था, लेकिन उसने जांच के दौरान इसका खुलासा नहीं किया। इसके चलते नियामक ने किसी ऑडिटिंग फर्म पर अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना ठोका है। एसईसी ने अपने आदेश में कहा, अर्न्स्ट एंड यंग ने न सिर्फ जांचकर्ताओं को गुमराह किया बल्कि सुबूत छिपाकर सार्वजनिक लेखा नियमों का भी उल्लंघन किया। जांच में सामने आया कि फर्म के 49 ऑडिटरों को पहले ही परीक्षा कुंजी मिल गई थी, जो उन्होंने दूसरों से भी साझा की।

फर्म ने माना-गलत था आचरण
एसईसी की जांच के बाद फर्म ने स्वीकारा कि उसका आचरण गलत था और निष्ठा व नैतिकता से बढ़कर कुछ भी नहीं है। कर्मचारियों द्वारा उत्तर साझा करना आचार संहिता का सरासर उल्लंघन है, जो असहनीय है। फर्म नैतिक नियमों के अनुपालन के लिए सख्त कदम उठाएगी।

2012 से 2015 के दौरान भी की नकल

  • नियामक का कहना है, ऑडिटरों ने इतने बड़े पैमाने पर नैतिक परीक्षा में धोखाधड़ी कोई पहली दफा नहीं की। इससे पहले 2012 से 2015 के दौरान भी कमोबेश ऐसी ही नकल हुई थी।
  • आदेश में कहा गया है कि फर्म ने पूर्व में अपने कर्मचारियों को परीक्षा में नकल करने को लेकर चेतावनियां दी थीं पर इसका अब तक कोई खास असर नहीं पड़ा।

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