Rajat Jayanti Uttarakhand: उत्‍तराखंड में औद्योगिक निवेश ने पकड़ी रफ्तार, कौशल विकास की दरकार

देहरादून । राज्य स्थापना के 25 वर्षों में उत्तराखंड ने औद्योगिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। वर्ष 2000-2001 में जहां राज्य में मात्र 14,163 हजार उद्योग थे, वहीं आज यह संख्या बढ़कर 93,887 पहुंच गई है। इसमें बड़े उद्योग एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम (एमएसएमई) इकाइयां शामिल हैं। इन उद्योगों में लगभग 55.58 हजार करोड़ से अधिक का निवेश हुआ है, जिससे पांच लाख 91 हजार से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है।

यह उपलब्धि राज्य के वैश्विक निवेशक सम्मेलन के आंकड़ों से अलग है। सम्मेलन के तहत अब तक एक लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं जमीन पर उतर चुकी हैं, जबकि कुल 2.56 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं। अब राज्य को औद्योगिक प्रगति को और गति देने के लिए कौशल विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। विशेष रूप से आइटी सेक्टर और तकनीकी आधारित उद्योगों को प्रशिक्षित व दक्ष जनशक्ति की आवश्यकता है। यदि युवाओं को आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण से जोड़ा जाए, तो उत्तराखंड आने वाले वर्षों में औद्योगिक क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य बन सकता है।

घर पर स्वरोजगार से थमेगा पलायन

राज्य में अक्षय ऊर्जा, हर्बल एवं एरोमेटिक्स उद्यानिकी और फूलों की खेती, पर्यटन, रिवर राफ्टिंग, एडवेंचर, तीर्थाटन जैसे सेवा क्षेत्र के ग्रीन उद्योग स्थापित होने से आने वाले समय में न केवल उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि पहाड़ों से पलायन भी राेकने में भी यह उद्योग सहायक सिद्ध होंगे। युवाओं को अपने घर के नजदीक ही रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। मलारी से लेकर हर्षिल, पिथौरागढ़, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे विख्यात धार्मिक स्थलों में सेवा क्षेत्र के उद्योगी के स्थापित होने से हजारों युवाओं को घर बैठक रोजगार और स्वरोजगार से जुड़ने का मौका मिल रहा है।

कौशल विकास पर जोर दे रही सरकार

उद्योगों को कुशल कामगार मिले, इस दिशा में सरकार तेजी से कार्य कर रही है। राज्य में युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने के लिए देवभूमि उद्यमिता संस्थान उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को नवाचार से जोड़ रहा है। सभी आइटीआइ एवं पालीटेक्निक के छात्र-छात्राओं को कौशल विकास का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप आइटीआइ का सिलेबस तैयार किया जा रहा है ताकि उद्योगों को कुशल और दक्ष मानव शक्ति मिले।

इन चुनौतियों से पाना होगा पार

– औद्योगिक क्षेत्रों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं होने से प्रभावित होता है उत्पादन
– औद्योगिकी क्षेत्रों में संपर्क मार्ग और नाले-नालियों का निर्माण व रखरखाव है बड़ी समस्या
– कई औद्योगिक क्षेत्रों में रात्रि के समय प्रकाश की व्यवस्था न होने से चोरी और लूट का खतरा
– औद्योगिक क्षेत्रों में महिला छात्रावास नहीं होने से महिला कार्मिकों को होती है असुविधा
– लंबे समय से जर्जर हैं सितारगंज व हरिद्वार औद्योगिक क्षेत्रों की कुछ आंतरिक सड़कें

30 अक्टूबर, 2025 तक राज्य में एमएसएमई की स्थिति

  • जनपद, उद्योग, रोजगार और निवेश (करोड़ में)
  • नैनीताल, 6437, 29,494, 1669.16
  • यूएस नगर, 12,385, 84,500, 4836.30
  • अल्मोड़ा, 5874, 15,355, 344.40
  • पिथौरागढ़, 4697, 11,462, 180.17
  • बागेश्वर, 2915, 6814, 110.97
  • चंपावत, 2894, 8730, 134.34
  • देहरादून, 12,197, 80,999, 2019.79
  • पौड़ी, 8905, 32158, 988.03
  • टिहरी, 8623, 25694, 859.09
  • चमोली, 4520, 10,309,173.02
  • उत्तरकाशी, 5395, 11565, 264.74
  • रुद्रप्रयाग, 3585,10,127, 309.40
  • हरिद्वार, 15,170,1,32,863, 5741.71

निवेशक सम्मेलन से एक लाख करोड़ की ग्राउंडिंग

उत्तराखंड इस समय औद्योगिक विकास के क्षेत्र में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान हुए करार धरातल पर उतरने लगे हैं। अभी तक प्रदेश में एक लाख करोड़ के निवेश करार धरातल पर उतर चुके हैं। इनमें सबसे अधिक करार मेन्युफैक्चरिंग, यानी उत्पादन क्षेत्र के हैं। साथ ही ऊर्जा, वैकल्पिक ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, स्वास्थ्य, फार्मा, आयुष, औद्यानिकी व सेवा क्षेत्र में भी धरातल पर काम हो रहा है।

‘उत्तराखंड में निवेशकों को सरकार हर प्रकार की सुविधा मुहैया करा रही है। पिछले दो से तीन वर्ष में नये उद्योगों के स्थापित होने की रफ्तार बढ़ी है। इससे न केवल पूंजी निवेश में बढ़ोतरी हुई, बल्कि रोजगार भी सृजित हुआ है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन में एक लाख करोड़ निवेश की ग्राउंडिंग भी हो चुकी है। राज्य सरकार उद्योगपतियों को अपना ब्रांड अंबेसडर मानती है।’
– पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड

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