
दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में शुक्रवार को छह अवजल शोधक संयंत्र (एसटीपी) को अपग्रेड करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके अलावा 39 अनधिकृत कॉलोनियों व चार गांव में सीवर लाइन बिछाने की योजना को हरी झंडी दी। बैठक में 1855 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली जल बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान कोंडली, कोरोनेशन, रोहिणी, पप्पन कलां, नरेला व निलोठी एसटीपी की क्षमता बढ़ाने की योजना को हरी झंडी दी। इनकी क्षमता बढ़ाने पर 1367.5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वर्तमान में इन एसटीपी की क्षमता 160 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमडीजी) है, जबकि इनकी क्षमता 205 एमजीडी बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा पानी को बेहतर ढंग से साफ करने के लिए आधुनिक तकनीक अपनाई जाएगी। इन एसटीपी में नाइट्रोजन, फास्फोरस हटाने के साथ-साथ कीट भी मारे जा सकेंगे। पप्पनकलां एसटीपी की क्षमता 20 एमडीजी से 30 एमडीजी तक बढ़ाई जाएगी। यहां साफ होने वाले पानी को झील में छोड़ा जाएगा। ओखला एसटीपी से यमुना तक साफ पानी पहुंचाने के लिए एक अलग लाइन बिछाई जाएगी। इसके अलावा भूजल में सुधार करने के लिए ओखला एसटीपी के पास झीलें भी विकसित की जाएंगी। बैठक में बताया गया कि 39 अनधिकृत कॉलोनियों और चार गांव में सीवर लाइन बिछाने के बाद 8.25 एमडीजी पानी को साफ करने में मदद मिलेगी।
राजधानी को झीलों का शहर बनाने की मुहिम
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार राजधानी को झीलों का शहर बनाने की मुहिम में जुटी है। दिल्ली में 299 जलाशय और नौ झीलों को विकसित किया जा रहा है, जिनमें कई झीलों और जलाशयों को मनोरंजक और सुरक्षित स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है। झीलों व जलाशयों के पुनर्जीवित होने से राजधानी की बायोडायवर्सिटी में भी सुधार होगा और आसपास के भूजल स्तर में भी सुधार आएगा। इससे पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी।
यमुना को प्राथमिकता के आधार पर साफ करना मकसद: उपमुख्यमंत्री
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार ने यमुना नदी को अगले तीन साल में पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत दिल्ली के 100 फीसदी घरों को भी सीवर लाइन से जोड़ने का प्लान है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करने की जिम्मेदारी जल बोर्ड को दी है, जिस तरह पिछले कार्यकाल में दिल्ली सरकार ने स्कूलों और अस्पतालों का कायाकल्प किया, वैसे ही इस बार यमुना को भी प्राथमिकता के आधार पर साफ करना ही मुख्य मकसद है।