चंडीगढ़ :चंडीगढ़ में पंजाब के अधिकारियों की अनदेखी, सीएम भगवंत मान ने प्रशासक को लिखी चिट्ठी

Punjab Minister Bhagwant Singh

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ प्रशासन में सिविल प्रशासन के पद भरने के लिए पंजाब के अधिकारियों की अनदेखी पर दुख जाहिर किया है। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित को चिट्ठी लिखकर पंजाब-हरियाणा के बीच 60:40 का अनुपात बनाए रखने की अपील की है। राज्यपाल को लिखे पत्र में भगवंत मान ने जोर देकर कहा की साल 1966 में पंजाब राज्य के पुनर्गठन के बाद अफसरों को आम तौर पर कुछ पद जैसे गृह सचिव, वित्त सचिव, डिप्टी कमिश्नर और नगर निगम के कमिश्नर को भारत सरकार की मंजूरी के साथ इंटर-कैडर डेपुटेशन पर लिया जाता है। 

उन्होंने कहा की वित्त सचिव और नगर निगम के कमिश्नर के पद पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारियों के जरिये भरे जाते हैं, जबकि गृह सचिव और डिप्टी कमिश्नर के पद हरियाणा कॉडर के आईएएस अधिकारियों से भरे जाते हैं।

उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों का चयन कड़ी प्रक्रिया के बाद किया जाता है और इनको अलग-अलग प्रमुख विभागों का प्रभार भी सौंपा जाता है।इस दौरान मुख्यमंत्री ने अफसोस जाहिर किया कि पिछले कुछ वर्षों से यह ध्यान में आया है कि चंडीगढ़ प्रशासन में एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है और अधिकतर महत्वपूर्ण पद जो पहले पंजाब कैडर के आईएएस अफसरों को दिए जाते थे, इस समय एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारियों को दिए जा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि यह काबिलेगौर है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, कृषि, श्रम और रोजगार, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य और आपूर्ति, सहकारिता, खेल और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के प्रमुख विभाग जो पहले वित्त सचिव के पास होते थे, अब बहुत से जूनियर एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अफसरों को दिए गए हैं। मान ने कहा कि सिटको के मैनेजिंग डायरेक्टर का पद, जोकि पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी के लिए आरक्षित है, वह भी यूटी कैडर के आईएएस अधिकारी को दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अधिकारी बिना आवश्यक अनुभव और ज्ञान के यूटी चंडीगढ़ और पंजाब और हरियाणा संबंधी पेचीदा मसलों के बारे में तुरंत फैसले लेने और किए गए फैसलों को समय पर लागू करने में लापरवाही बरतते हैं। उन्होंने कहा कि इसका शासन और प्रशासन के स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह समूचा घटनाक्रम पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 की भावना का स्पष्ट उल्लंघन है और पंजाब के अधिकारियों के रुतबे और मनोबल को कमजोर कर रहा है।

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