
कनाडा में हत्या के मामलों की जांच करने वाली शीर्ष एजेंसी होमीसाइड युनिट ने रिपुदमन मलिक की हत्या से जुड़ी एक कार की वीडियो फुटेज जारी की है। जांचकर्ता फिलहाल यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि रिपुदमन की हत्या किसने और क्यों की है?
कनाडा के अखबार टोरंटो सन के मुताबिक, इंटीग्रेटेड होमीसाइट इन्वेस्टिगेशन टीम (आईएचआईटी) ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी किया, जिसमें सफेद रंग की कार को पैपिलन ईस्टर्न इम्पोर्ट्स के पार्किंग क्षेत्र में घुसते हुए देखा जा सकता है। कार के अंदर कई लोग बैठे दिखाई दे रहे हैं। इस कंपनी की स्थापना मलिक ने 1970 में की थी। आईएचआईटी के सार्जेंट डेविड ली ने बताया कि कार 122ए स्ट्रीट पर 82 एवेन्यू के पास जली हुई मिली है।
कनिष्क बम विस्फोट मामला क्या था?
घटना 23 जून 1985 की है। एयर इंडिया की फ्लाइट 182 ने मॉन्ट्रियल से लंदन के लिए उड़ान भरी। इसे नई दिल्ली जाना था। एयर इंडिया का यह विमान एक बोइंग 747 जंबो जेट था। जिसे सम्राट कनिष्क के नाम पर कनिष्क नाम दिया गया था। वैंकूवर में एक सूटकेस कार्गो में चेक इन किया गया। इस सूटकेस में बम रखा हुआ था। विमान आयरिश हवाई क्षेत्र में था। तभी एक जोरदार धमाका हुआ। जमीन से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर हुए इस धमाके में विमान सवार 22 क्रू मेंबर और सभी 307 यात्री मारे गए। इनमें 268 कनाडाई, 27 ब्रिटिश और 24 भारतीय नागरिक मारे गए। कनाडाई नगारिकों में कई भारतीय मूल के लोग भी थे। धमाके के मारे गए लोगों में से केवल 132 शव ही बरामद किए जा सके थे। बाकी 197 शवों का पता तक नहीं चल पाया।
इस हमले के जिम्मेदार लोग कौन थे?
कनाडा और भारतीय जांच में पता चला कि इस बम धमाके की योजना बनाने का काम और उसका क्रियान्वयन कनाडा में रहने वाले सिख अलगावादियों ने किया था। ये अलगावादी पंजाब में सक्रिय उग्रवादियों के निर्देश पर काम कर रहे थे। जांचकर्ताओं ने बताया कि बम धमाकों को आतंकवादी समूह बब्बर खालसा ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए अंजाम दिया था।
मामले में किन लोगों को आरोपी बनाया गया?
इस बम धमाके के मामले में तीन लोग मुख्य आरोपी बनाए गए। इनमें रिपुदमन सिंह मलिक के साथ इंद्रजीत सिंह रेयात और अजब सिंह बागरी शामिल थे। ये तीनों ही भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के सदस्य इंदरजीत सिंह रेयात को जांच के बाद दोषी पाया गया। उसे 15 साल की सजा हुई। वहीं, रिपुदमन सिंह मलिक और अजब सिंह बागरी को जांच के बाद बरी कर दिया गया।