
ग्राम पंचायत अधिकारी (वीडीओ) परीक्षा में हुई धांधली में भी अब गिरफ्तारियों का दौर शुरू होने वाला है। ढाई साल से भी अधिक समय की जांच के बाद विजिलेंस जल्द ही पहली गिरफ्तारी कर सकती है। इसमें भी बड़े-बड़े अधिकारियों और सफेदपोशों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने वीडीओ पद के लिए वर्ष 2015 में परीक्षा कराई थी। परीक्षा में धांधली का आरोप लगा तो इसे रद्द कर दिया गया। अगले साल इस परीक्षा को फिर से आयोजित कराया गया। रिजल्ट आया तो पहले साल टॉपर बने अभ्यर्थी एकाएक सबसे नीचे आ गए। इससे पुष्टि हो गई परीक्षा में धांधली हुई थी।
शासन के आदेश पर प्राथमिक जांच कराई गई। इसमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल रहे। करीब चार वर्षों तक इस मामले में प्राथमिक जांच चलती रही। पता चला कि परीक्षा में ओएमआर शीटों में छेड़छाड़ की गई थी। सेटिंग वाले अभ्यर्थियों के ओएमआर शीट में गोले काले कर दिए गए। इससे वह टॉपर बन बैठे। इसके बाद जांच को विजिलेंस के हवाले कर दिया गया। विजिलेंस ने अपने स्तर से जांच की और जनवरी 2020 में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
जांच में बहुत से लोगों के खिलाफ साक्ष्य मिले
हालांकि, मुकदमे में प्राथमिक तौर पर कोई आरोपी नहीं बनाया गया था। इस प्रकरण में ढाई साल से भी अधिक समय से जांच चल रही थी। अब बताया जा रहा है कि विजिलेंस ने जांच लगभग पूरी कर ली है। जल्द गिरफ्तारियां शुरू हो सकती हैं। एएसपी रेनू लोहानी ने बताया कि जांच में बहुत से लोगों के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं। जल्द पहली गिरफ्तारी की जाएगी।
बहुत से साक्ष्य हो गए हैं नष्ट
अधिकारियों के मुताबिक, छह साल पहले यह परीक्षा हुई थी। ऐसे में कई साक्ष्य तो नष्ट भी हो गए। इनमें कॉल डिटेल को सबसे बड़ा साक्ष्य माना जाता है, लेकिन इतनी पुरानी कॉल डिटेल भी नहीं निकल पाई है। इसके अलावा तमाम इस तरह के साक्ष्य हैं, जो आयोग ने मांगने पर भी उपलब्ध नहीं कराए हैं। यही नहीं, उस वक्त के कई अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गए हैं। ओएमआर शीट का मिलान करना भी मुश्किल रहा।