
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा लगभग आधी सदी बाद अपने मून मिशन आर्टेमिस के जरिए इंसानों को चांद पर दोबारा भेजने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में पहला कदम 29 अगस्त यानी सोमवार को उठाया जाएगा। मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट आर्टेमिस-1 को शाम 6 बजकर 3 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा।
आर्टेमिस-1 एक मानवरहित मिशन है। पहली फ्लाइट के साथ वैज्ञानिकों का लक्ष्य यह जानना है कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चांद पर सही हालात हैं या नहीं। साथ ही क्या एस्ट्रोनॉट्स चांद पर जाने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौट सकेंगे या नहीं।
नासा के मुताबिक, नया स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) मेगारॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल चंद्रमा पर पहुंचेंगे। आमतौर पर क्रू कैप्सूल में एस्ट्रोनॉट्स रहते हैं, लेकिन इस बार यह खाली रहेगा। ये मिशन 6 हफ्तों का है, जिसके बाद 10 अक्टूबर को कैप्सूल धरती पर वापस आ जाएगा।
अपोलो मिशन की परिकल्पना अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जे एफ केनेडी ने सोवियत संघ को मात देने के लिए की थी। उनका लक्ष्य सिर्फ अंतरिक्ष यात्रा नहीं था, बल्कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी की फील्ड में अमेरिका को दुनिया में पहले स्थान पर स्थापित करना था। हालांकि, अब करीब 50 साल बाद माहौल अलग है।
अब अमेरिका आर्टेमिस मिशन के जरिए रूस या चीन को मात नहीं देना चाहता। नासा का उद्देश्य पृथ्वी के बाहर स्थित चीजों को अच्छी तरह एक्सप्लोर करना है। चांद पर जाकर वैज्ञानिक वहां की बर्फ और मिट्टी से ईंधन, खाना और इमारतें बनाने की कोशिश करना चाहते हैं।