
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के चुनाव आयोग को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने की अनुमति दी। द न्यूज इंटरनेशनल ने यह जानकारी दी है।
मुख्य न्यायाधीश उमेर अता बांदियाल और न्यायमूर्ति आयशा ए मलिक और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पीटीआई द्वारा विभिन्न उच्च न्यायालयों में उसके अवमानना नोटिस को चुनौती देने वाले दायर मामलों के स्थानांतरण और समेकित करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों ने ईसीपी को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान और अन्य पार्टी सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही करने से नहीं बल्कि अनुशासनात्मक कार्यवाही करने से प्रतिबंधित किया था। अदालत ने ईसीपी के वकील से पीटीआई नेताओं के खिलाफ दिए गए कारण बताओ नोटिस पर उठाई गई आपत्तियों का विश्लेषण करने के लिए कहा।
चुनाव आयोग के वकील सजील स्वाति ने अदालत से कहा कि लाहौर उच्च न्यायालय ने ईसीपी को इमरान खान, फवाद चौधरी, असद उमर और अन्य नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था। समाचार रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति आयशा ए मलिक ने कहा कि अवमानना कार्रवाई पूरी होने के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। न्यायाधीश ने ईसीपी के वकील से सवाल किया कि अवमानना कार्यवाही में उत्तरदाताओं के खिलाफ कार्यवाही कैसे की गई।
न्यायाधीश के सवाल के जवाब में वकील ने कहा कि चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 10 ईसीपी को अवमानना मामलों में कार्यवाही आगे बढ़ाने की अनुमति देती है। सजील स्वाती ने कहा कि पीटीआई प्रमुख इमरान खान और फवाद चौधरी और असद उमर सहित पार्टी के अन्य सदस्य अवमानना कार्यवाही में उपस्थित नहीं हो रहे थे।
वकील ने अदालत से प्रतिवादियों को ईसीपी के सामने पेश होने का निर्देश देने के लिए कहा और उच्च न्यायालयों से अवमानना नोटिस को चुनौती देने वाले मामलों के बारे में जल्द से जल्द फैसला लेने को कहा। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले का निस्तारण करते हुए ईसीपी को कानून और संविधान के अनुसार अपनी कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने देश के उच्च न्यायालयों को भी ईसीपी नोटिस को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के लंबित आवेदनों के बारे में जल्द से जल्द फैसला लेने के लिए कहा।