
विशेष सीबीआई जज परवेंद्र कुमार शर्मा ने एटा में 16 साल पहले फर्नीचर कारीगर राजाराम की हत्या कर मुठभेड़ का रूप देने के मामले में आरोपी नौ पुलिसकर्मियों को मंगलवार को दोषी ठहराया। सजा पर बुधवार को बहस होगी।
मामले के अनुसार, 2006 में सिपाही राजेंद्र ने राजाराम से अपने घर की रसोई में काम कराया था। लेकिन मजदूरी देने से मना कर दिया। राजाराम जब मजदूरी लेने पर अड़ गया, तो राजेंद्र ने सिढ़पुरा थाने के पुलिसकर्मियों के साथ साजिश रचकर राजाराम को लुटेरा दिखा दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
13 साल चली सुनवाई, 202 लोगों की गवाही
सिढ़पुरा पुलिस ने 28 अगस्त, 2006 को एक लुटेरे की मुठभेड़ में मौत दिखाई और उसके शव को अज्ञात में जला देने के बाद बताया कि वह राजाराम था। इस मामले में 2009 में आरोपपत्र दाखिल हुआ था। उसके बाद 13 साल चली सुनवाई में 202 लोगों की गवाही हुई। एक आरोपी पुलिसकर्मी की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है।