
नेपाल की सियासत में रविवार को नाटकीय मोड़ आ गया। यहां सत्तारूढ़ गठबंधन को उस वक्त पर करारा झटका लगा, जब नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच पीएम पद को लेकर सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद विपक्षी सीपीएन-यूएमएल और अन्य छोटे दलों ने पुष्प कमल दहल को अपना समर्थन दिया।
दहल ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें अपनी पीएम उम्मीदवारी का आवेदन सौंपा। दहल ने नेपाल के राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्हें पीएम पद के लिए निर्दलीय सांसदों समेत 169 सांसदों का समर्थन हासिल है। इसके बाद राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को नेपाल का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। प्रचंड आज पीएम पद की शपथ लेंगे।
नेपाल राष्ट्रपति कार्यालय ने बताया कि नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के पुष्प कमल दहल कल शाम 4 बजे (स्थानीय समयानुसार) नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। प्रचंड तीसरी बार नेपाल के पीएम का कार्यभार संभालेंगे। पहली बार वे 2008 से 2009 और दूसरी बार 2016 से 2017 तक नेपाल के पीएम रह चुके हैं।
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुष्प कमल दहल को नेपाल का PM चुने जाने पर बधाई दी। पीएम ने ट्वीट किया कि भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और लोगों के बीच गर्मजोशी के संबंधों पर आधारित है। मैं इस दोस्ती को और मजबूत करने के लिए आपके साथ मिलकर काम करने की आशा रखता हूं।
दहल बैठक से बाहर निकल गए
गठबंधन की बैठक के दौरान पुष्प कमल दहल बाहर चले गए। वे सीधे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के पास पहुंचे। इसके बाद माओइस्ट सेंटर के प्रेस सचिव ने दहल के बाहर जाने की खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि बैठक में कोई समझौता नहीं हुआ।
प्रचंड पीएम बनने पर अड़े हुए थे
प्रचंड गठबंधन सरकार का नेतृत्व करना चाहते हैं, जबकि नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार का नेतृत्व करने पर अड़ी है। काठमांडू में राजनीतिक नाटक जोरों पर चल रहा है। प्रचंड का इरादा सामने आने के बाद सियासी हलकों में अनुमान लगाया गया कि सत्ताधारी गठबंधन के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। फिर से नेपाली कांग्रेस संसदीय दल के नेता चुने गए देउबा और दहल दोनों प्रधानमंत्री पद पाने की खींचतान में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे थे। दोनों नेताओं में सहमति बनी थी कि वे पांच साल के कार्यकाल में ढाई-ढाई साल तक प्रधानमंत्री रहेंगे। अब दोनों ही यह पद पहले हासिल करना चाहते हैं।
राष्ट्रपति ने दिया था आज शाम 5 बजे तक का वक्त
राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने गठबंधन को 7 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री के लिए एक नाम की सिफारिश करने की समय सीमा तय की थी। यह रविवार शाम 5 बजे (स्थानीय समयानुसार) समाप्त हो गई। राष्ट्रपति भंडारी ने पार्टियों से संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर सहमति बनाने को कहा था।
प्रचंड ने पीएम बनने के लिए ओली का समर्थन मांगा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री देउबा के साथ बातचीत विफल होने के बाद प्रचंड प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन मांगने के लिए सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के निजी आवास पहुंचे। पूर्व प्रधानमंत्री ओली के बालकोट स्थित आवास पर बातचीत चली। प्रतिनिधि सभा में 89 सीटों के साथ नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 और सीपीएन-एमसी के पास 32 सीटें हैं। प्रचंड के अलावा, जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र लिंगडेन और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने भी संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए ओली के आवास पर पहुंचे।
ओली-प्रचंड में बनी सहमति
बैठक के बाद से ही कयास लगाए जाने लगे थे कि सत्ता और महत्वपूर्ण पदों के बंटवारे पर सहमति बनने के बाद इन पार्टियों द्वारा नई सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। इस बीच CPN (MC) नेता बर्शमन पुन ने भी बताया कि छह दलों के गठबंधन ने अगली सरकार के पीएम के रूप में पुष्पा कमल दहल को पेश करने का फैसला किया। एग्रीमेंट सील कर दिया गया है। दहल ढाई साल तक सरकार का नेतृत्व करेंगे और ढाई साल तक सीपीएन-यूएमएल नेता सरकार का नेतृत्व करेंगे।
इस बीच सीपीएन-एमसी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, रविवार तक नई सरकार के गठन की संभावना नहीं है और पार्टियों को सत्ता के बंटवारे के लिए बातचीत के लिए और समय की आवश्यकता हो सकती है। 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में किसी भी दल के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक 138 सीटें नहीं हैं।