
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दो टूक स्वीकार किया है कि उनका देश डिफॉल्ट करने (कर्ज चुकाने में अक्षम) की हद तक पहुंच गया था। हालांकि उनका दावा है कि अब स्थिति बेहतर है और पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) के डिफॉल्टर होने की नौबत अब नहीं आएगी। शरीफ ने सोमवार को एक समारोह में कहा कि जब वे सत्ता में आए, तब पाकिस्तान डिफॉल्ट करने के करीब था। उन्होंने कहा- ‘गठबंधन (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस) सरकार और अन्य संबंधित संस्थानों की सघन कोशिशों और देश की दुआ से हम डिफॉल्ट करने से बच गए हैं। लेकिन देश अभी भी आर्थिक चुनौतियो का सामना कर रहा है।’
शरीफ ने बताया कि इस वर्ष आई असाधारण बाढ़ के कारण पाकिस्तान को 30 बिलियन डॉलर का भारी नुकसान हुआ। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी महंगाई और दुनिया भर में आ रही मंदी ने हालात और गंभीर बना रखे हैं। उन्होंने देश में पेट्रोलियम और बिजली की महंगाई के लिए अंतरराष्ट्रीय हालात को जिम्मेदार ठहराया।
विश्लेषकों के मुताबिक शहबाज शरीफ का ताजा बयान पाकिस्तान की बढ़ रही मुसीबतों का दोष पूर्व इमरान खान सरकार और अंतरराष्ट्रीय हालात पर डालने की कोशिश का हिस्सा है। जबकि देश में हालात लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। इसका ताजा संकेत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का पाकिस्तान सरकार के प्रति सख्त हो रहा रुख है। आईएमएफ ने साफ संकेत दिया है कि नया कर्ज पाने के लिए तय शर्तों को पूरा करने में शरीफ सरकार की नाकामी से वह नाराज है। उसने यह संकेत भी दिया है कि अगर शर्तें पूरी करने में और देर हुई, तो कर्ज देने के फैसले पर वह पुनर्विचार कर सकता है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार कई दुविधाओं में फंसी हुई है, जिसकी कीमत देश को चुकानी पड़ रही है।
इस बीच रूस ने फिर कहा है कि वह पाकिस्तान को प्राकृतिक गैस देने को तैयार है। रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने सोमवार को कहा कि दीर्घकालिक करार के तौर पर रूस अफगानिस्तान और पाकिस्तान को प्राकृतिक गैस देने की स्थिति में है। इसके लिए वह मध्य एशिया स्थित अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करेगा। पाकिस्तान रूस से कच्चा तेल और गैस लेगा या नहीं, इस सवाल पर जारी ऊहापोह के बीच नोवाक का यह बयान महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
इस महीने के आरंभ में पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक ने कहा था कि रूस रियायती दर पर पाकिस्तान को कच्चा तेल देगा। मलिक ने यह बात रूस यात्रा से लौटने के तुरंत बाद कही थी। लेकिन उनके इस बयान का पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने खंडन कर दिया। भुट्टो जरदारी ने वह बयान अमेरिकी अमेरिका यात्रा के दौरान दिया। जबकि उनके ऐसा कहने के एक ही दिन बाद मलिक ने दोहराया कि रूस से रियायती दर पर तेल लेने के बारे में बातचीत आगे बढ़ चुकी है।
इस विवाद को पाकिस्तान आर्थिक जरूरतों और विदेश नीति के बीच चल रहे टकराव की मिसाल माना गया है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार अमेरिका से रिश्ते सुधारने में जुटी हुई है। इस बीच देश के अंदर महंगाई और ऊर्जा संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में सरकार अपनी जरूरतों को तरजीह दे या वह अमेरिका की प्रतिक्रिया का ख्याल करे, इस बारे में वह असमंजस में है। समझा जाता है कि शहबाज शरीफ की सरकार को सत्ता में लाने में देश में मौजूद अमेरिका समर्थक लॉबी का खास हाथ रहा है। इससे शरीफ सरकार की मुश्किलें और भी बढ़ी हुई हैं।