एफसीआई में करोड़ों का घोटाला:हर ट्रक पर तय थी रिश्वत, 200 जीएम, 50 डीजीएम और 20 रुपए जाते थे मैनेजर को

फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में चल रहे करोड़ों रुपए के घाेटाले और रिश्वत के खेल में सीबीआई ने शुक्रवार को तीसरे आरोपी पंजाब रीजन के चंडीगढ़ स्थित ऑफिस के मैनेजर सतीश वर्मा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। जहां से उसे 4 दिनों के रिमांड पर भेजा गया है। उससे 20 लाख रुपए भी रिकवर हुए हैं। इससे पहले सीबीआई ने डीजीएम राजीव मिश्रा और एक प्राइवेट ग्रेन मर्चेंट रविंदर सिंह खेड़ा को भी गिरफ्तार किया था। इस मामले में 74 पर केस दर्ज हैै व 99 जगहों पर सीबीआई छापेमारी कर चुकी है।

3 करोड़ रिकवर हो चुके हैं। जांच में सामने आया एफसीआई के दिल्ली व पंजाब रीजन में करोड़ों की रिश्वत का खेल चल रहा था। घटिया क्वालिटी का अनाज लेकर आ रहे हर ट्रक पर अफसरों की पोस्ट के हिसाब से रिश्वत तय थी। अकेले सुनाम डिपो में ही 14 हजार ट्रक एक सीजन में आते थे व एक ट्रक से 1600 रु, की रिश्वत ली जाती थी। इसका 30 परसेंट डिपो मैनेजर रखता था बाकी 70 परसेंट स्टाफ में बंटता। 150 रु. डिवीजनल मैनेजर को आते थे। चंडीगढ़ डिवीजन स्थित डिपो में एक ट्रक से 1050 रु. लिए जाते थे। 200 रु. जीएम को 50-50 रु. 4 डीजीएम, 20 रुपए आरओ लैब मैनेजर को जाते थे।

क्वालिटी कंट्रोल से लेकर विजिलेंस तक की मिलीभगत
एफसीआई की क्वालिटी कंट्रोल टीम से लेकर विजिलेंस तक सभी की मिलीभगत से ये खेल चल रहा था। ये अफसर कुछ अनाज के व्यापारियों के साथ मिलकर देश के कई हिस्साें में खराब क्वालिटी का अनाज भेजते थे और पकड़े जाने या फिर ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए ये एफसीआई के अफसरों को रिश्वत दे रहे थे।

निशांत ही करता था रकम इकट्‌ठी, बांटता भी था

चंडीगढ़ डिवीजन में रिश्वत की रकम को इकट्‌ठा करने से लेकर उसके बंटवारे की जिम्मेदारी एक टेक्नीकल असिस्टेंट निशांत बारिया को दी गई थी। ये जिम्मेदारी सतीश वर्मा और एक अन्य आरोपी सुकांता कुमार ने उसे दी थी। आगे सतीश वर्मा को इस खेल के लिए डीजीएम राजीव कुमार मिश्रा ने पूरी छूट दे रखी थी। इस खेल का मास्टरमाइंड दिल्ली स्थित ऑफिस का एग्जीक्यूटिव मास्टरमाइंड सुदीप सिंह था। वहीं, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर(हेड क्वार्टर) को 100 रुपए मिलते थे।

चंडीगढ़ डिवीजन में रिश्वत की रकम को इकट्‌ठा करने से लेकर उसके बंटवारे की जिम्मेदारी एक टेक्नीकल असिस्टेंट निशांत बारिया को दी गई थी। ये जिम्मेदारी सतीश वर्मा और एक अन्य आरोपी सुकांता कुमार ने उसे दी थी। आगे सतीश वर्मा को इस खेल के लिए डीजीएम राजीव कुमार मिश्रा ने पूरी छूट दे रखी थी। इस खेल का मास्टरमाइंड दिल्ली स्थित ऑफिस का एग्जीक्यूटिव मास्टरमाइंड सुदीप सिंह था। वहीं, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर(हेड क्वार्टर) को 100 रुपए मिलते थे।

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