UP: लखनऊ में जारी है जिंदगी बचाने की जंग, 12 घंटे में 14 लोगों का रेस्क्यू

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अपार्टमेंट में हर शाम की तरफ लोग अपने-अपने फ्लैट में थे। तभी अचानक से बिल्डिंग एक तरफ झुकती हुई महसूस हुई। जब तक कुछ समझ आता तब तक पलक झपकते ही पूरी इमारात जमींजोद हो गई। बिल्डिंग गिरने की आवाज सुनकर आसपास हाहाकार मच गया। सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए। जिनके परिवार वाले भीतर फंसे थे वह इधर उधर चीखते घूमते रहे और मदद की गुहार लगाते रहे। खौफनाक मंजर को देखकर हर किसी की रूह कांप गई।

अपार्टमेंट में रहने वाले जिन घायलों को बाहर निकाला गया उनमें से कुछ ने बताया कि शाम के करीब साढ़े छह बजे होंगे। तभी अचानक से जमीन खिसकती हुई मसूस हुई। पल के लिए लगा कि कहीं भूकंप तो नहीं। तभी पूरी बिल्डिंग भरभराकर ढह गई। अपार्टमेंट के ऊपरी मंजिल के कुछ लोग मामूली रूप से घायल हुए वह तुंरत बाहर आ गए। इसमें फ्लैट नंबर 301 में रहने वाली रंजना अवस्थी व उनकी बेटी आलोका शामिल हैं। एहतियातन उनको अस्पताल में भर्ती कराया। उनकी स्थिति सामान्य है।

ऐसा लगा कि सब खत्म हो गया, हम बेटी को खोजने लगे
जो घायल निकले उनको यकीन नहीं हो रहा था कि वह जिंदा हैं। पल भर के लिए लगा वह नहीं बच पाएंगे। रंजना का भी यही कहना था। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग ढहने के बाद वह कुछ देर तक सन्न पड़ी रहीं। हाथों से अपनी बेटी को खोज रही थीं। मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। ऐसा लगा कि सबकुछ खत्म हो गया है। तभी मेरी आवाज निकली। पास में ही मेरी बेटी पड़ी दिखी। बोलने पर उसने भी हरकत की। तब दोनों लोग उठकर बाहर निकले। घायलों के दिल और दिमाग में खौफनाक मंजर कैद हो गया।

लंबे समय से हो रही थी ड्रिलिंग
अपार्टमेंट में रहने वाले व आसपास के कुछ लोगों ने बताया कि अपार्टमेंट की पार्किंग में लंबे समय से ड्रिलिंग का काम चल रहा था। न कोई सुरक्षा उपकरण का इस्तेमाल किया जा रहा था न किसी को इस संबंध में बताया गया था। लोगों के मुताबिक बिल्डिंग के मालिक अधिकतर रोज शाम को वहीं पर मौजूद रहते थे। मंगलवार को ये सभी दोपहर करीब ढाई बजे कहीं चले गए थे।

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