
पाकिस्तान के पेशावर में पुलिस लाइन इलाके में स्थित एक मस्जिद में हुए ब्लास्ट में कम से कम 95 लोगों की मोत हो गई। यह हमला पाकिस्तान में निचले स्तर के बढ़ते हमलों से अलग सुरक्षा में एक बड़ा उल्लंघन था। मालूम हो कि यह हमला पड़ोसी देश अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने और वहां लगातार हो रहे उथल-पुथल का ही नतीजा है। अफगानिस्तान में तालिबनी शासन आने के बाद पाकिस्तान में हमले बढ़ गए हैं। पाकिस्तान पर तालिबान द्वारा हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के रूप में जाने जाते हैं
पाकिस्तान में कई आतंकवादी संगठन सक्रिय
पाकिस्तान में हुए आत्मघाती हमले के बाद इस्लामाबाद ने काबुल में तालिबान पर अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने में विफल रहने और अफगानिस्तान के अंदर आतंकवादियों को पाकिस्तान के खिलाफ हमलों की योजना बनाने की अनुमति देने का आरोप लगाया है। मालूम हो कि पाकिस्तान में कई आतंकवादी संगठन कई सालों से लगातार फलफूल रहे हैं। इस्लामिक स्टेट समूह का क्षेत्रीय गुट इस्लामिक स्टेट-खुरासान भी अब सक्रिय हो गया है। पिछले साल पेशावर में एक अल्पसंख्यक शिया मस्जिद में आत्मघाती विस्फोट में 64 लोगों की मौत हो गई थी। इसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। बलूचिस्तान में अलगाववादियों ने सुरक्षा बलों पर अपने हमले तेज कर दिए हैं।