
फिर बिजली महंगी 14 माह में यह चौथा मौका होगा, जब बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर आर्थिक भार बढ़ने वाला है। बिजली कंपनी की ओर से बिजली दरों में औसत 3.20 प्रतिशत बढ़ोतरी प्रस्तावित की है। यानी बिजली का उपयोग करना अब और महंगा पड़ेगा। विद्युत नियामक आयोग मार्च में नई दरें निर्धारित करेगा और बढ़ी हुई दरों को नए वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा। दिसंबर 2021 में दरें बढ़ाई गई थी, उसके बाद अप्रैल में भी दरें बढ़ाई गई और बीच में फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट (एफसीए) के नाम पर भी दरें बढ़ाई जा चुकी है, जिसमें फ्यूल कास्ट पहले ऋणात्मक 7 पैसे था, जिसे 14 पैसे कर दिया गया था।
अब दो माह बाद फिर से दरें बढ़ा दी जाएगी। इसमें विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2023-24 के लिए बिजली दर निर्धारित करने के लिए लगाई गई नई टैरिफ पिटीशन में 300 से अधिक के स्लैब को समाप्त किया जाएगा। इस कारण कम खपत वाले और छोटे उपभोक्ताओं पर अधिक भार पड़ेगा। यानी 150 से 300 यूनिट की खपत वाले उपभोक्ताओं को ज्यादा बिल चुकाना होगा।
बिजली की दरें फिर से बढ़ाने के पीछे बड़ा कारण यह सामने आया है कि बिजली कंपनी को 49,530 करोड़ के राजस्व की आवश्यकता के विरुद्ध 47,992 करोड़ का राजस्व मिलेगा। ऐसे में बिजली कंपनी को करीब 1538 करोड़ रुपए की और आवश्यकता होगी। इसकी भरपाई के लिए आम लोगों पर बिजली बिलों का भार बढ़ाया जा रहा है।