
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले समूह जी-20 के सदस्य देशों में रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर मतभेद फिर सामने आया है। इसी कारण जी20 के वित्त मंत्रियों की बैठक शनिवार को एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किए बगैर ही खत्म हो गई।
जी-20 की अध्यक्षता कर रहे भारत ने शनिवार को ऐलान किया कि समूह के ज्यादातर देशों ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध की ‘कड़ी निंदा’ कर इस मांग को दोहराया है कि रूस, यूक्रेन से बाहर निकले। बेंगलुरु में वित्त मंत्रियों की बैठक के बाद भारत की तरफ से जारी बयान से संकेत मिलता है कि रूस और चीन को छोड़कर जी-20 ग्रुप के बाकी सभी सदस्य देशों ने रूसी युद्ध की निंदा की है।
घोषणापत्र जारी नहीं हुआ, लेकिन हटाए गए पैराग्राफ वही थे
इसके चलते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि रूस और चीन की आपत्तियों को देखते हुए बैठक के बाद संयुक्त घोषणापत्र जारी नहीं किया जा सका। हालांकि इसमें हटाए गए पैराग्राफ वही थे, जिस पर नवंबर में बाली में जी20 की बैठक में सहमति बनी थी।
वहीं आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि इस पैराग्राफ की भाषा जी20 बाली डेक्लरेशन से ही ली गई थी। पर रूस और चीन का कहना था कि ये बैठक वित्त मसलों पर है, लिहाजा इसमें यूक्रेन मसले का जिक्र करना सही नहीं है।
G-20 के ज्यादातर सदस्यों ने की यूक्रेन युद्ध की निंदा
बैठक के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया कि जी20 सदस्यों ने यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी राष्ट्रीय स्थितियों को ही दोहराया है। दस्तावेज के मुताबिक, ज्यादातर सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा करने के साथ इस पर जोर दिया कि यह अत्यधिक मानवीय पीड़ा पैदा कर रहा है और ग्लोबल इकोनॉमी में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है।
इसके साथ ही सारांश दस्तावेज में कहा गया हालात और प्रतिबंधों के अंदाज को लेकर अलग मत था। जी20 के सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समाधान का मंच न होने की बात स्वीकार करते हुए भी हमारा मत है कि सुरक्षा मुद्दों के ग्लोबल इकोनॉमी के लिए अहम नतीजे हो सकते हैं। इस विशेष पैराग्राफ पर रूस और चीन सहमत नहीं थे।