G-20: दीपों से जगमगाएंगे गंगा तट, तुलसी माला से होगा मेहमानों का स्वागत , जी-20 समिट की पहली बैठक 25 से 27 मई, दूसरी 26 से 28 मई के बीच 

जी-20 समिट में शामिल होने आ रहे विदेशी मेहमानों के स्वागत में उत्तराखंड पलक पांवड़े बिछाने को तैयार है। भ्रष्टाचार से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों और नई तकनीक पर चर्चा के साथ ही मेहमानों को उत्तराखंड की संस्कृति, सभ्यता से रूबरू कराया जाएगा।

गंगा दर्शन विदेशियों के लिए प्रमुख आकर्षण रहेगा। विदेशी अतिथियों का स्वागत तिलक लगाकर तुलसी की माला पहनाते हुए किया जाएगा। इसलिए मुनि की रेती, लक्ष्मण झूला और ऋषिकेश में गंगा घाटों को अयोध्या की तर्ज पर घी के दीयों से सजाया जाएगा। गंगा तट पर रिफ्लेक्शन लाइटें लगाई जाएंगी ताकि सूर्यास्त के समय गंगा में अद्भुत नजारा दिखे। जी-20 समिट के तहत तीन वर्किंग ग्रुप की बैठक उत्तराखंड में होगी।

पहली बैठक 25 से 27 मई, दूसरी 26 से 28 मई के बीच होगी। इसमें सैकड़ों की संख्या में जी-20 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके लिए राज्य सरकार ने संबंधित जिलों के प्रशासनिक अफसरों के साथ तैयारियां तेज कर दी हैं। अतिथियों का भव्य स्वागत कर उत्तराखंड की माटी की खुशबू को जी-20 देशों तक पहुंचाने की कोशिश है।

प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता के बारे जानेंगे
योजना के अनुसार, जी-20 देशों में बसे विदेशी मेहमानों से संपर्क की योजना बनाई गई है। उन देशों में बसे उत्तराखंड के लोगों से संवाद किया जा रहा है। उनसे उम्मीद की गई है कि वे यहां आने वाले मेहमानों को प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता के बारे में बताएं। विदेशी दूतावासों की भी मदद ली जा रही है। जी-20 देशों के यहां पर पढ़ रहे छात्रों से भी संपर्क किया जा रहा है।

परंपरागत वाद्य यंत्रों के साथ थड़िया, सरौं, चौंफला नृत्य होंगे पेश

उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल, ढोलकी, दमाऊं, हुड़की, डौंर, थाली, मोछंग, बांसुरी, तुर्री, भकोरा, नगाड़ा, सारंगी, मसक बाजा, रणसिंगा, एकतारा, शंख, अलगोजा, चिमटा, बिणाई, डफली आदि बजाकर मेहमानों का स्वागत किया जाएगा। उत्तराखंड के पारंपरिक नृत्य थड़िया, सरौं, चौंफला, मंडाण, हारूल, झुमैलो, चांचरी की प्रस्तुति कलाकार देंगे।

जानेंगे पहाड़ी व्यंजनों की खूबियां

विदेशी अतिथियों के लिए यहां के खाद्य पदार्थों से लेकर पेय पदार्थ तक उपलब्ध रहेंगे। झंगोरे की खीर से लेकर मंडुवे की रोटी, तिल की चटनी होटलों में उपलब्ध होंगे। इन पहाड़ी व्यंजनों के लाभ बताने के लिए गाइड उपलब्ध रहेंगे। मेहमान जहां ठहरेंगे, वहां योग और आयुष का भरपूर प्रचार किया जाएगा। राज्य के प्रमुख उत्पादों को प्रमोट करने के लिए उत्तराखंड की पहचान बताने वाले उत्पाद उपहार में दिए जाएंगे। बुकलेट प्रकाशित कर उत्तराखंड की संस्कृति और सभ्यता का प्रचार विदेशी प्रतिनिधियों के समक्ष होगा।

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