बैंक ऑफ बड़ौदा के 222 खातों में बेगूसराय निवासी पवन कुमार (33) ने अपना मोबाइल नंबर दे रखा था। साथ ही, आरोपी 1,100 बैंक खाते चला रहा था। इनमें से सात खाते पवन के हैं। बाकी खाते अन्य लोगों के नाम पर खुले हैं। पुलिस ने पवन के पास से बैंक ऑफ बड़ौदा के ही 1,100 खातों के एटीएम कार्ड भी बरामद किए हैं।
देशभर से इन खातों में ठगी की रकम आ रही थी। पवन के 35 बैंक खातों से पता लगा कि दिल्ली से ही इन लोगों ने पांच करोड़ से ज्यादा रुपये ठगे हैं। पुलिस ने पवन सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार किया तो मामले का खुलासा हुआ। अब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) ने बैंक ऑफ बड़ौदा को नोटिस देकर पूछा है कि उस समय बैंक मैनेजर व सुपरवाइजर कौन था। पुलिस ने बैंक से एटीएम हैंडलिंग रजिस्टर भी मांगा है। आरोपी पूरे देश में जालसाजी कर रहे थे। इनके खिलाफ दिल्ली, गुजरात, यूपी व महाराष्ट्र में मामले दर्ज हैं। पुलिस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी पत्र लिखने की तैयारी कर रही है।
हर ठगी में 12% कमीशन
आईएफएसओ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मूलरूप से बलिया निवासी सेवानिवृत्त ब्रांच मैनेजर घनश्याम (69) वसंतकुंज में रहते हैं। उनसे बीमा के नाम पर जालसाजों ने 2.80 करोड़ रुपये ठगे थे। केस दर्ज कर आईएफएसओ की टीम ने 20 जुलाई, 2022 को गाजियाबाद के आर्यन नायक (29) और श्यामसुंदर (28) को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि जालसाजी की रकम बेगूसराय में खोले गए खातों में गई है। तब इंस्पेक्टर सतीश की टीम ने दबिश देकर जालसाजों को बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले पवन कुमार, दिनेश, वीरेंद्र, बबलू, रोशन और मिथिलेश को गिरफ्तार कर लिया।
- श्यामसुंदर व आर्यन को खाते पवन ने ही उपलब्ध कराए थे। पवन को हर ठगी पर 12% कमीशन मिलता था।
1100 बैंक खाते चला रहा था पवन
बैंक ऑफ बड़ौदा में एक ही व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर 222 खातों के मामले में गिरफ्तार बेगूसराय निवासी पवन कुमार (33) और श्यामसुदंर एक ही गांव के रहने वाले हैं। पवन ने बैंक ऑफ बड़ौदा का कस्टमर सर्विस प्वाइंट ले रखा था। वह लोगों के बैंक खाते खोलकर उनमें अपना मोबाइल नंबर डाल देता था। कोई खाते से पैसे निकालने व डलवाने आता था तो ये अंगूठे का निशान भी ले लेता था। बाद में इस निशान व कागजों से फर्जी बैंक खाते खोल लेता था। इस तरह उसने 1100 बैंक खाते खोले थे।
पवन बिहार में मुखिया का चुनाव भी लड़ चुका है। जांच में पता लगा कि वह खाते खोलकर उनके एटीएम कार्ड लेता और पिन कोड बनाकर 25 से 30 हजार रुपये में जालसाजों को बेच देता था। वह जालसाजी की रकम का बैंक खातों में हेर-फेर करता था। ठगी की रकम को छोटी-छोटी राशि में खातों डाल देता था, ताकि निकालना आसान हो जाए। इनमें पवन के खुद के सात खाते हैं।