
मिलेट वर्ष पर दिल्ली में शनिवार यानी आज को सौ से अधिक देशों के कृषि मंत्रियों, मोटे अनाज के शोधार्थियों, विज्ञानियों एवं प्रतिनिधियों का जमावड़ा होने जा रहा है। दो दिनों तक चलने वाले ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन (Global Millets Conference) का उद्घाटन करेंगे।
जानकारी के मुताबिक, सुबह 11 इस सम्मेलन का उद्घाटन होगा इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा वो उद्घाटन सत्र को भी संबोधित करेंगे।
डाक टिकट, सिक्का होगा जारी
भारत दुनिया को मोटे अनाजों को खाद्यान्न के रूप में अपनाने का इतिहास और उनके महत्व के बारे में बताएगा। इस दौरान श्रीअन्न पर डाक टिकट, सिक्का, काफी टेबल बुक और वीडियो जारी होंगे। पोषण विशेषज्ञ भी विमर्श करेंगे। वैसे वैज्ञानिक साक्ष्य है कि भारत में कांस्य युग (लगभग 45 सौ ईसा पूर्व) से ही मिलेट (श्रीअन्न) को पोषक अन्न के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।
भारत में मोटे अनाज के सर्वप्रथम प्रचलन का साक्षी यजुर्वेद है, जिसमें श्रीअन्न की विभिन्न प्रजातियों प्रियंगव (फाक्सटेल), अनाव (बरनार्ड) एवं श्यामका (ब्लैक फिंगर) के इस्तेमाल के फायदे बताए गए हैं। अब तो इसके वैज्ञानिक प्रमाण भी हैं कि भारत में आज से लगभग साढ़े छह हजार वर्ष से भी ज्यादा समय से श्रीअन्न को खाद्य पदार्थ के रूप में ग्रहण किया जाता रहा है।
मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कर्नाटक है। देश के कुल उत्पादन का लगभग 19 प्रतिशत मोटा अनाज कर्नाटक में ही होता है। वहां के लोग इसे सिरी धान्य कहते हैं। देश में जन सामान्य के पोषण के लिए जब मोटे अनाजों की उपज और खपत बढ़ाने की पहल हुई तो कर्नाटक के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसे श्रीअन्न नाम दिया गया। प्राचीन साहित्यों में भी श्रीअन्न की चर्चा है। तब इसके महत्व से सभी परिचित थे। बाद में इसे छोटे (गरीबों) लोगों का भोजन समझ लिया गया।