Delhi : गृह मंत्रालय के नाम पर फर्जी ट्रेनिंग सेंटर से कई बेरोजगारों को ठगा

अपराध शाखा ने गृह मंत्रालय के नाम पर जाफरपुर कलां गांव में फर्जी ट्रेनिंग सेंटर चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर सरगना समेत 3 शातिरों को गिरफ्तार किया है।गिरोह गृह मंत्रालय के आपराधिक खुफिया विभाग (डीसीआई) के नाम पर बेरोजगारों को सिपाही व ऑफिस सहायक आदि की नौकरी का झांसा देता था। फर्जी प्रशिक्षण केंद्र में राष्ट्रपति व पीएम की तस्वीरें, तिरंगा व कई फाइलें मिलीं, जिन पर गृह मंत्रालय लिखा है।

पुलिस ने मौके से गुरुग्राम निवासी सरगना आशीष चौधरी (27) को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर अशोक नगर के गोविंद कौशिक (33) व सूरजकुंड फरीदाबाद के अमित कुमार (34) को दबोचा गया। गिरोह अब तक 25 से 30 युवक-युवतियों को ठग चुका है। सेंटर से पुलिस की वर्दी, फर्जी नियुक्ति पत्र भी बरामद हुआ है।   

पांच लाख वसूलते थे
गिरोह बेरोजगार युवाओं को बताता था कि डीसीआई विभाग गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है। यह गोपनीय विभाग है इसलिए किसी को इसकी जानकारी नहीं है। सरगना आशीष खुद को डीसीआई का डीएसपी और अमित सब-इंस्पेक्टर बताता था। गिरोह नौकरी लगवाने के नाम पर रुपये वसूलने के अलावा पदोन्नति व दिल्ली में तैनाती का झांसा देकर भी रकम ऐंठता था। सेंटर में ट्रेनिंग के लिए बुलाकर पांच-पांच लाख रुपये वसूले जाते थे। 

पढ़े-लिखों को लेक्चर देता था दसवीं फेल सरगना
गृह मंत्रालय के नाम पर जाफरपुर कलां गांव में फर्जी ट्रेनिंग सेंटर चलाने वाले गिरोह का सरगना आशीष चौधरी 10वीं भी पास नहीं है। अपराध शाखा की टीम ने जब सेंटर पर धावा बोला तो आशीष 11 युवक-युवतियों को वहां पढ़ाता पाया गया। 

अपराध शाखा के विशेष पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि एसीपी राजकुमार को सूचना मिली थी कि आशीष नौकरी लगवाने के नाम पर गिरोह चला रहा है। उसका रावता-दौराला रोड, जाफरपुर कलां में फर्जी ट्रेनिंग सेंटर चल रहा है। एसीपी की देखरेख में इंस्पेक्टर अभिजीत कुमार, एएसआई रणधीर, एएसआई कृष्ण और महिला एएसआई नरेंद्र कौर की टीम ने फर्जी सेंटर में दबिश दी। उस समय सेंटर में 10 युवकों व एक युवती को आशीष लेक्चर दे रहा था। पहले तो आशीष ने खुद को गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले डीसीआई का डीएसपी बताया। लेकिन, इंस्पेक्टर अभिजीत कुमार ने जब सख्ती से पूछताछ की तो उसने सच उगल दिया। उसने टीम को बताया कि वह 10वीं तक भी नहीं पढ़ा है। गिरोह अपने जाननेवालों के बच्चों को ही शिकार बनाता था।

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