
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने में अब महज 25 दिन शेष हैं। इसे देखते हुए सरकारी मशीनरी यात्रा को सुरक्षित बनाने में जुटी है। चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री को जोड़ने वाले हाईवे के क्षतिग्रस्त हिस्सों को दुरुस्त करने के साथ दुर्घटना संभावित स्थलों पर सुरक्षा के इंतजाम के लिए काम शुरू कर दिए गए हैं। इसके बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं। कई स्थानों पर नए भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय हो गए हैं।
राजमार्गों के बड़े हिस्से पर अब भी यातायात संकेतक, पैराफिट व क्रैश बैरियर लगाए जाने हैं। ब्लैक स्पॉट भी दुरुस्त नहीं हुए हैं। उस पर निर्माण कार्यों की गति भी धीमी है। गौरतलब है कि यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल, केदारनाथ धाम के 25 अप्रैल और बदरीनाथ धाम के 27 अप्रैल को खोले जाने हैं।
बदरीनाथ हाईवे चमोली जिले में भूधंसाव से जूझ रहे जोशीमठ के बीच से गुजरता है। जोशीमठ में हाईवे का करीब 12 किमी हिस्सा है, जो भूधंसाव से प्रभावित है। दरारों को बीआरओ मिट्टी व मलबे से भर रहा है।
यमुनोत्री धाम सबसे अधिक चुनौती
उत्तरकाशी स्थित यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले यमुनोत्री हाईवे पर है। धरासू से जानकीचट्टी तक 110 किमी लंबे इस हाईवे पर धरासू, फेड़ी, सिलक्यारा और किसाला से कुथनौर के बीच आल वेदर रोड निर्माण के दौरान भूस्खलन क्षेत्र बन गए हैं। ओजरी से जानकीचट्टी के बीच दस भूस्खलन क्षेत्र हैं। इसके अलावा सात बड़े भूस्खलन क्षेत्र (कुथनौर पुल, पालीगाड, डाबरकोट, असनौलगाड, नगेला गदेरा, झंजरगाड व फूलचट्टी बैंड) भी हैं। पालीगाड से जानकीचट्टी के बीच 15, जबकि सिलक्यारा से जंगलचट्टी के बीच दस ब्लैक स्पाट हैं।