Joe Biden : हिरोशिमा में अमेरिकी राष्ट्रपति के विरोध में होने लगे प्रदर्शन

जापान के हिरोशिमा शहर में विकसित देशों के समूह जी-7 के नेता पहुंचे हुए हैं। यह वही शहर है जहां द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने परमाणु हमला किया था। अमेरिकी हमले में 1,40,000 लोग मारे गए थे। G-7 समूह के बैठक में शामिल होने के लिए पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित विश्व के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों का जमघट लगा हुआ है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के हिरोशिमा में पहुंचने के बाद वहां कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि जी-7 समूह अपने असल मुद्दों से भटक गया है। विरोध रैली में शामिल लोगों का कहना है कि हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी का अब राजनीतिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और पूरी दुनिया को अब शांति की राह पर वापस लौटना चाहिए।

भारत ने दिया शांति का संदेश

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिरोशिमा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि शांति और सद्भाव को लेकर उनके आदर्श दुनियाभर में गूंजता रहता है और लाखों लोगों को ताकत देता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने के लिए हिरोशिमा का चयन शांति और अहिंसा के प्रति एकजुटता दर्शाने के मकसद से किया गया।

मालूम हो कि इस समय पूरी दुनिया सुरक्षा के गंभीर संकट का सामना कर रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध हो या फिर उत्तर कोरिया द्वारा लगातार किए जा रहे परीक्षणों के मद्देनजर लगातार परमाणु हमले का खतरा बना हुआ है। ऐसे में हिरोशिमा में जी-7 सम्मेलन होने अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता है। समूह की बैठक जिस जगह पर हो रही है वहां से शांति स्मारक संग्रहालय दूर नहीं है। मालूम हो कि शांति स्मारक में दर्जनों ऐसी घड़ियां लगी हुई है, जिसमें सुबह 8.16 ही सिर्फ दिखती रहती है। वहां मौजूद ये सभी घड़ियां अमेरिका द्वारा परमाणु हमलों की याद दिलाती रहती हैं।

परमाणु हमले में मारे गए थे 140,000 लोग

मालूम हो कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर विश्व का पहला परमाणु हमला किया, जिसके बाद यह शहर पूरी तरह से बर्बाद हो गया और इस परमाणु विस्फोट में करीब 140,000 लोग मारे गए। अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु हमला  6 अगस्त 1945 को सुबह आठ बजकर सोलह मिनट पर किया था। हालांकि, अमेरिका ने तीन दिन के बाद जापान के एक और शहर नागासाकी पर दूसरा बम गिराया, जिसमें 70,000 हजार लोगों की मौत हो गई थी।  

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