
ग्रामीण इलाकों में भी डेंगू और वायरल का कहर लगातार बढ़ रहा है। जौलीग्रांट एवं आसपास क्षेत्र में ही डेंगू के करीब 100 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। डेंगू और वायरल फीवर के लक्षण एक जैसे होने से मरीजों में दहशत बनी है। ग्रामीण इलाकों में बकरी के दूध की डिमांड और कीमत बढ़ गई है। दूध लेने के लिए बकरी पालकों के घरों में लाइन लग रही है। लोगों का मानना है कि बकरी का दूध प्लेटलेट्स बढ़ाने में कारगर है। हालांकि, चिकित्सकों का कहना है कि बकरी के दूध को लेकर सिर्फ भ्रम है। डेंगू मरीजों के लिए बकरी का दूध कारगर नहीं है।
जौलीग्रांट के पाल मोहल्ले में कुछ परिवार बकरी पालन करते हैं। जौलीग्रांट में भर्ती डेंगू मरीजों और अन्य पीड़ितों के परिजन बकरी का दूध लेने के लिए पाल मोहल्ला पहुंच रहे हैं। बकरी पालकों के लिए दूध की मांग पूरी करना मुश्किल हो रहा है। सुबह से दूध लेने के लिए लोगों की लाइन लग रही है। बकरी का दूध 100 रुपये में 250 ग्राम तक मिल रहा है। पाल महिपाल पाल ने बताया कि वह और उनका भाई गोविंद पाल बकरी पालते हैं। सुबह से लोग बकरी का दूध लेने आ रहे हैं। डेंगू मरीज को बकरी का दूध पिलाने की धारणा को लेकर चिकित्सक सहमत नहीं हैं। चिकित्सकों का कहना है कि मरीज के शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। इसके लिए तरल पदार्थों का सेवन जरूरी है। बकरी का दूध मरीज को नुकसान पहुंचा सकता है।