सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था, यह देखना होगा। कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से पेश वकील हुजैफा अहमदी के उस तर्क पर यह टिप्पणी की, जिसमें 1992 के उपासना स्थल कानून के कारण केस सुने जाने के अयोग्य बताया गया था। कोर्ट ने कहा, 15 अगस्त, 1947 के दिन इसका जो धार्मिक स्वरूप होगा, उससे तय होगा कि इस मामले को सुना जा सकता है या नहीं?
पीठ ने मामले की सुनवाई 16 अक्तूबर तक टाल दी, क्या था ज्ञानवापी का धार्मिक चरित्र, देखना होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि आजादी के वक्त के स्वरूप से तय होगा मामला सुना जाए या नहीं, इसके सबूत भी जुटाने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले से संबंधित तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था, यह देखना होगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से पेश वकील हुजैफा अहमदी के उस तर्क पर की, जिसमें 1992 के उपासना स्थल कानून के कारण केस सुने जाने के अयोग्य बताया गया था।
अदालत ने कहा कि उपासना स्थल कानून-1992 कहता है कि किसी धार्मिक स्थल का स्वरूप बदला नहीं जा सकता है। ऐसे में यह देखना होगा कि आजादी के वक्त यानी 15 अगस्त, 1947 को इस जगह का क्या धार्मिक स्वरूप था।