
उत्तराखंड के सिलक्यारा में 13 दिन से फंसी 41 जिंदगियों को बाहर निकालने का अभियान पल-पल परीक्षा ले रहा है। पिछले तीन दिन से धीमा पड़ा बचाव अभियान जैसे ही गति पकड़ता है, वैसे ही दूसरी चुनौती सामने आ जाती है। शुक्रवार को भी अभियान मंजिल के पास पहुंचकर एक बार फिर रुक गया और फिर से बचाव अभियान में जुटी मशीनरी का इम्तिहान शुरू हो गया। हालांकि, बचाव दल पूरी ताकत के साथ अंतिम पड़ाव तक पहुंचने के प्रयास में जुटे हैं।
गुरुवार दोपहर से बंद ड्रिलिंग को पटरी पर लाने के लिए तमाम मोर्चों पर काम किए जाने के बाद शुक्रवार शाम ड्रिलिंग शुरू हो सकी। मगर करीब एक घंटे बाद ही सुरंग में फिर से अवरोध आ गया और ड्रिलिंग रोकनी पड़ी। इस दौरान दो मीटर पाइप ही अंदर धकेला जा सका था। सूत्रों के अनुसार, अब ड्रिलिंग की राह में लोहे का गार्डर आया है। इसे हटाने के लिए श्रमिकों को गैस कटर के साथ पाइप के अंदर भेजा गया है।
इस बाधा को दूर करने में लगभग तीन घंटे लगने का अनुमान लगाया जा रहा है। सुरंग में कैद श्रमिकों को निकालने के लिए 57 से 60 मीटर ड्रिलिंग की जानी है, जिसमें से अब तक 48.8 मीटर निकास सुरंग तैयार हो चुकी है। बचाव टीम अवरोधों से पार पाने को जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार) का उपयोग भी कर रही है। सिलक्यारा में चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग के भीतर 12 नवंबर को भूस्खलन होने से 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान जारी है।