
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में गुरुवार से 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन का आयोजन दुबई एक्सपो सिटी होगा। सम्मेलन 200 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक चलने वाले इस वार्ता में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों, जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल, मीथेन एवं कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए वित्तीय सहायता और अमीर देशों से विकासशील देशों को दिए जाने वाले मुआवजे जैसे मुद्दों पर गहन बातचीत होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1 दिसंबर को इस सम्मेलन में शामिल होंगे।
दुनिया भर में घातक गर्मी, सूखा, जंगल की आग, तूफान और बाढ़ का असर आजीविका और जीवन पर पड़ रहा है। 2021-2022 में वैश्विक कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इसका लगभग 90 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन से आता है। कॉप-28 (सीओपी-28) के दौरान किंग चार्ल्स तृतीय, पोप फ्रांसिस और लगभग 200 देशों के नेता इन मुद्दों को प्रमुखता से संबोधित करेंगे।
सम्मेलन में जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद जलवायु संकट का खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को आर्थिक समर्थन के मुद्दे का समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस) को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए वैश्विक दबाव बढ़ रहा है। वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा इसी का योगदान है। यह वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है। तर्क है कि उन्हें परिष्कृत तकनीकें विकसित करने तक तेल और गैस निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं है।