
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर गौलापार में कोर्ट की शिफ्टिंग को खारिज किया। अब हाईकोर्ट गौलापार नहीं बल्कि कहीं और शिफ्ट होगा। इस मामले में अधिवक्ताओं सहित वादकारियों से राय मांगी गई। राय देने के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा। वहीं, अखबारों में विज्ञापन देकर भी इनसे राय मांगी जाएगी। शहर और स्थान के चयन को समिति गठित की गई। कोई ऐसा स्थान सुझाने को कहा जहां पचास जजों के कोर्ट और आवास सहित 7000 अधिवक्ता चैंबर्स और चिकित्सा व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हो सकें।
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया है कि वह गौलापार में हाईकोर्ट की शिफ्टिंग के पक्ष में नहीं है। इसके पीछे कोर्ट ने यह तर्क दिया है कि गौलापार में जिस वन भूमि का चयन उच्च न्यायालय की स्थापना के लिए किया गया है वहां घना जंगल है और पेड़ काटने के बाद हाईकोर्ट की स्थापना करना उचित नहीं है। ऐसे में अब लोगों को लगने लगा है कि हाईकोर्ट गौलापार में शिफ्ट नहीं होगा बल्कि कहीं और जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो यहां फ्रीज जोन घोषित की गई भूमि भी फ्रीज जोन मुक्त हो जाएगी। इससे यहां जमीन की खरीद फरोख्त से लेकर निर्माण कार्य तक के बढ़ने के आसार हैं।