महाकुंभ 2025: आस्था की गंगा में श्रद्धालुओं की उमड़ी लहर, भव्य मेला का दृश्य

महाकुंभ 2025 का भव्य और दिव्य आगाज, संगम पर श्रद्धालुओं का सैलाब

यूपी की संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ मेले का दिव्य और भव्य आगाज हो चुका है। पौष पूर्णिमा के दिन से इस आयोजन की शुरुआत हुई, जो 26 फरवरी तक जारी रहेगा। इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है और हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। अब तक करीब 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम तट पर स्नान किया है। संगम पर गंगा, यमुना और ‘रहस्यमय’ सरस्वती नदियों का संगम है, जो धार्मिक आस्था का केंद्र है।

144 साल बाद दुर्लभ संयोग

इस साल महाकुंभ का शुभारंभ 144 साल बाद दुर्लभ संयोग में हुआ है। रविवार की आधी रात पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ इस महान आयोजन की शुरुआत हुई। यह महाकुंभ 45 दिनों तक चलेगा, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे। संगम पर आस्था और विश्वास का अद्वितीय मिलन देखने को मिलेगा।

45 करोड़ श्रद्धालुओं का आना अनुमानित

महाकुंभ में अनुमानित 45 करोड़ श्रद्धालु, संत, भक्त, कल्पवासी और अतिथि आने की उम्मीद है। इस दौरान संगम पर धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ और ध्यान के आयोजन होंगे।

183 देशों से आने वाले श्रद्धालु

महाकुंभ में इस बार 183 देशों से लोग आने की उम्मीद जताई जा रही है। विदेशी श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भव्य तैयारियां की हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार ने संगम क्षेत्र में कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिसमें वीआईपी गेट और 72 देशों के ध्वज लगाए गए हैं।

सुरक्षा और व्यवस्था का ध्यान

कुंभ मेले की सुरक्षा के लिए हर सेक्टर में पुलिस थाने बनाए गए हैं और 37,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। आपातकालीन स्थितियों के लिए फायर ब्रिगेड की टीमें भी तैनात हैं। श्रद्धालुओं के खोने और फिर से मिलने के लिए 15 लॉस्ट एंड फाउंड सेंटर बनाए गए हैं।

महाकुंभ में सांस्कृतिक आयोजन

इस बार मेले में 10 लाख वर्ग फीट में दीवारों पर पेंट किया गया है और हर दिन 800 से ज्यादा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रयागराज के सेक्टर-18 पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया है, जहां वीआईपी गेट और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की व्यवस्थाएं बनाई गई हैं।

कुंभ का पौराणिक महत्व

कुंभ मेला धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब बृहस्पति कुंभ राशि और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तब कुंभ मेला आयोजित होता है। इस मेले का धार्मिक और पौराणिक महत्व समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है, जब अमृत कलश से कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं, जिससे यह स्थान पवित्र हो गए।

महाकुंभ की सदियों पुरानी परंपरा

महाकुंभ की परंपरा की शुरुआत कब हुई, इसके कोई लिखित प्रमाण नहीं हैं, लेकिन बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग और सम्राट चंद्रगुप्त के दरबार से जुड़े इतिहासकारों ने इसके बारे में उल्लेख किया था।

महाकुंभ 2025 का यह आयोजन आस्था, विश्वास और धर्म का अद्वितीय मेल है, जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।

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