
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुडा घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से हाल ही में की गई बड़ी कार्रवाई को राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने “बड़ी जीत” करार दिया है। विजयेंद्र ने कहा कि इस जांच ने मुख्यमंत्री से जुड़े भ्रष्टाचार के कई अहम पहलुओं को उजागर किया है। उनका आरोप था कि सिद्धारमैया ने अपनी पत्नी के नाम पर अवैध रूप से साइटों का आवंटन करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया। इस आरोप के मुताबिक, सिद्धारमैया ने बेनामी और प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम पर साइटों का आवंटन किया, जिससे सिस्टम में भ्रष्टाचार की गंभीरता और गहराई का खुलासा हुआ। विजयेंद्र ने इस बात का भी उल्लेख किया कि जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी, तो कांग्रेस ने राज्यपाल के संवैधानिक अधिकारों का अपमान करने और उसे कमजोर करने की पूरी कोशिश की थी। इसके अलावा, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखते हुए इस बात पर जोर दिया था कि मुख्यमंत्री के परिवार के खिलाफ आरोपों की गहन जांच जरूरी है।
बीवाई विजयेंद्र ने यह भी कहा कि कर्नाटक भाजपा और जेडीएस ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके समर्थकों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ विधानसभा के अंदर और बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि ईडी की कार्रवाई ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई को मान्यता दी है, बल्कि यह भी साबित किया है कि यह मामला जितना दिखाई दे रहा है, उससे कहीं अधिक गहरा और व्यापक है। विजयेंद्र ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि यदि उन्हें अपने पद की शुचिता की चिंता है, तो उन्हें तुरंत अपना पद छोड़ देना चाहिए और निष्पक्ष जांच की अनुमति देनी चाहिए, क्योंकि कर्नाटक के लोग पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय के हकदार हैं।
ईडी की कार्रवाई की सराहना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि जांच एजेंसी ने सिद्धारमैया द्वारा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने और जांच को विफल करने के किसी भी दुर्भावनापूर्ण प्रयास को पूरी तरह से नाकाम कर दिया है। भाजपा नेता ने कहा कि भाजपा और जेडीएस ने मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ विधानसभा में और सड़क पर निरंतर विरोध किया, और अब ईडी की कार्रवाई ने इसे सही ठहराया है।
ईडी ने शुक्रवार को बताया कि उसने सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएल) 2002 के तहत 142 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इन संपत्तियों का कुल बाजार मूल्य लगभग 300 करोड़ रुपये है। ईडी ने बताया कि ये संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं, जो रियल एस्टेट व्यवसायी और एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि मुडा घोटाला एक बड़ा और जटिल मामला है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के परिवार के करीबी लोगों और सहयोगियों की संलिप्तता हो सकती है। ईडी की कार्रवाई ने कर्नाटक में राजनीतिक भ्रष्टाचार को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।