
महाकुंभ 2025 इस बार न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह श्रद्धा और भारतीय संस्कृति का महापर्व भी बन चुका है। इस बार महाकुंभ में अनुमानित 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जो इसे और भी खास बना रही है। हालांकि, इस बार का महाकुंभ इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें एक अत्यंत दुर्लभ खगोलीय संयोग हो रहा है, जो 144 वर्षों में एक बार होता है। इस बार महाकुंभ के दौरान 12 जनवरी से 7 ग्रह एक ही कतार में आ रहे हैं, जो इसे अमृत महाकुंभ की श्रेणी में शामिल कर रहा है। ये ग्रह हैं – बुध, शनि, शुक्र, गुरु, मंगल, नैपचून और यूरेनस, जो जनवरी से एक ही सीध में आ गए हैं। यह संयोग 28 फरवरी तक कायम रहेगा और इसका प्रभाव केवल देश और दुनिया पर ही नहीं, बल्कि राशियों पर भी पड़ेगा। इस दुर्लभ खगोलीय घटना का लाभ उठाना बहुत लाभकारी हो सकता है, क्योंकि यह समय आत्मनिर्माण और मानसिक शांति के लिए उपयुक्त है। इसके साथ ही यह समय बदलाव, नए अवसरों और समृद्धि की ओर बढ़ने का भी हो सकता है। अगर हम उन राशियों की बात करें जिन पर इसका खास प्रभाव पड़ेगा, तो मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि इस खगोलीय संयोग के प्रभाव क्षेत्र में हैं, जबकि सिंह, कर्क, वृश्चिक और कन्या राशि पर ग्रहों की ऊर्जा का प्रवर्तन सबसे अधिक होगा। यह खगोलीय संयोग पहले 1962 में हुआ था और अगली बार 2050 में होगा, जिससे इसे अमृत महाकुंभ के रूप में देखा जा रहा है।