
उत्तराखंड ने शराब बिक्री से प्राप्त आय में महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाई है, और हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में प्रति व्यक्ति शराब बिक्री से 4217 रुपये का योगदान हुआ है। दिलचस्प बात यह है कि शराब के ठेकों की संख्या में कमी आने के बावजूद, उत्तराखंड ने देश के तीन बड़े राज्यों को पीछे छोड़ते हुए यह रिकॉर्ड स्थापित किया है।यह आंकड़ा राज्य की शराब बिक्री से संबंधित बढ़ती आय को दर्शाता है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति में एक अहम योगदान दे रहा है। राज्य सरकार ने शराब की बिक्री से होने वाली आय का उपयोग विभिन्न विकास परियोजनाओं में किया है, जिससे राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक योजनाओं में सुधार हुआ है। हालांकि, ठेके कम होने के बावजूद, शराब की बिक्री में वृद्धि का कारण स्थानीय स्तर पर शराब की कीमतों में वृद्धि, बेहतर नियोजन और बिक्री नेटवर्क की बढ़ोतरी हो सकता है।विशेषज्ञों का मानना है कि शराब की बिक्री से राज्य को होने वाली आय में वृद्धि से आर्थिक स्थिरता और रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। हालांकि, इस प्रकार की आय का सकारात्मक पहलू है, लेकिन शराब से होने वाले सामाजिक नुकसान और उससे संबंधित नकारात्मक प्रभावों पर भी गंभीरता से विचार करना जरूरी है। शराब की बिक्री से जुड़ी आय के बावजूद राज्य सरकार को स्वास्थ्य और समाज कल्याण के क्षेत्र में कदम उठाने होंगे, ताकि शराब के सेवन के कारण उत्पन्न होने वाली सामाजिक समस्याओं को कम किया जा सके।इस वृद्धि के बावजूद, राज्य सरकार शराब की बिक्री के नियमों को और कड़ा करने की योजना बना रही है, ताकि शराब का अत्यधिक सेवन और इससे संबंधित समस्याओं को रोका जा सके। इसके अलावा, राज्य में शराब से होने वाली आय को सही दिशा में लगाने के लिए कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है।उत्तराखंड के इस उदाहरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शराब बिक्री से आय के मामलों में कुछ राज्यों को पछाड़ने के बावजूद, सरकार को शराब से जुड़ी सामाजिक समस्याओं पर भी कड़ी नजर रखने की जरूरत है। राज्य सरकार शराब की बिक्री से होने वाली आय का सही उपयोग कर, राज्य के विकास में इसका योगदान बढ़ा सकती है।