
उत्तराखंड में मौसम में सुधार के बाद एक बार फिर से ग्लेशियर टूटने का खतरा बढ़ गया है। राज्य में बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश और बर्फबारी के कारण ग्लेशियरों में भारी दबाव बन गया था, और अब मौसम खुलने के साथ ही इन ग्लेशियरों के टूटने की संभावना जताई जा रही है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है, ताकि किसी भी प्रकार की आपदा से बचा जा सके।प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड एक संवेदनशील राज्य है, जहां ग्लेशियर टूटने और बर्फीली आपदाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रशासन ने इस बार पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है और प्रभावित क्षेत्रों में संभावित बाढ़ और पानी के तेज बहाव को लेकर चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसी बड़े ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटता है तो वह भारी नुकसान का कारण बन सकता है, खासकर निचले इलाकों में।राज्य आपदा प्रबंधन विभाग और मौसम विभाग ने ग्लेशियरों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी है और ग्रामीण क्षेत्रों में एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने स्थानीय निवासियों से सावधानी बरतने की अपील की है और बताया है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में तत्काल जिला प्रशासन से संपर्क किया जा सकता है।इसके अलावा, प्रशासन ने सभी पर्यटकों से भी अपील की है कि वे उन क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें जहां पर ग्लेशियर टूटने का खतरा अधिक है। विभाग ने इस बारे में विस्तार से दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें संकट के समय तत्काल राहत कार्यों की योजना भी तैयार की गई है।उत्तराखंड में ऐसे घटनाक्रमों को देखते हुए राज्य प्रशासन और पर्यावरण विशेषज्ञ इस मुद्दे पर और अधिक सतर्कता बरत रहे हैं। हालांकि, राज्य सरकार और प्रशासन इस समय सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लेशियरों के टूटने से नदी-नालों में बाढ़ आ सकती है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में जान-माल का नुकसान हो सकता है। ऐसे में लोगों को नदी किनारे या ग्लेशियर के पास ना जाने की सलाह दी गई है और हर व्यक्ति को सचेत किया जा रहा है ताकि कोई बड़ा हादसा न हो।