
उत्तराखंड में गर्मी के बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग लगने का खतरा भी बढ़ने लगा है। राज्य के वन विभाग ने इस स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं और अग्नि सुरक्षा को लेकर विशेष योजनाएं बनाई हैं। इस समय जंगलों में आग लगने की घटनाओं को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है, खासकर जब तापमान में बढ़ोतरी होती है। ऐसे में वन विभाग ने आग से बचाव के लिए विशेष कदम उठाए हैं ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके।राज्य में जंगलों में आग लगने की घटनाएं खासकर गर्मी के मौसम में बढ़ जाती हैं, क्योंकि इस समय सूखी घास, पत्तियां और अन्य वनस्पतियां आसानी से जलने लगती हैं। पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिससे न केवल वन्यजीवों को नुकसान हुआ है, बल्कि आसपास के गांवों और किसानों के लिए भी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। इस बढ़ते खतरे को देखते हुए, वन विभाग ने सभी जरूरी कदम उठाने का निर्णय लिया है।इस बार विभाग ने आग बुझाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया है, जो लगातार जंगलों की निगरानी करेंगे और आग की स्थिति का तुरंत पता चलने पर कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा, जंगलों में आग से बचाव के लिए रेत और पानी के टैंकरों का भी प्रबंध किया गया है। जंगलों के संवेदनशील इलाकों में चेतावनी बोर्ड और सिग्नल भी लगाए गए हैं, ताकि लोग सावधान रहें और आग से बचाव के लिए जरूरी कदम उठा सकें।वन विभाग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि आग से बचाव के लिए स्थानीय समुदाय को भी शामिल किया गया है। ग्रामीणों और स्थानीय निवासियों को आग बुझाने की तकनीकी जानकारी दी जा रही है, ताकि वे किसी भी आग लगने की घटना के समय त्वरित सहायता प्रदान कर सकें। इसके साथ ही, आग से प्रभावित क्षेत्रों में वन्यजीवों के लिए सुरक्षित स्थानों की पहचान की जा रही है, ताकि उन्हें बचाया जा सके।इसके अलावा, राज्य सरकार ने इस साल जंगलों में आग लगने की घटनाओं पर नजर रखने के लिए विशेष ड्रोन का भी इस्तेमाल शुरू किया है, जिससे आग की घटनाओं का तुरंत पता चल सके और आवश्यक कार्रवाई की जा सके। विभाग ने यह भी कहा है कि यदि आग पर काबू नहीं पाया गया तो यह स्थानीय समुदायों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है, क्योंकि जंगलों में आग के कारण वायुमार्ग, जल स्रोतों और वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।विभाग ने सभी पर्यटकों से अपील की है कि वे जंगलों में आग लगने के मौसम में बिना अनुमति के न जाएं और यदि वे जंगलों के पास रहते हैं तो सावधान रहें। यह कदम राज्य के जंगलों को आग से बचाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।इस साल, उत्तराखंड के वन विभाग ने एक बार फिर यह साबित किया है कि वे प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और हर संभावित स्थिति का सामना करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं।