
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति को जारी रखते हुए एक और बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए 11 आईएएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनमें से एक प्रमुख अधिकारी, अभिषेक प्रकाश, जो कि उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर रह चुके हैं, भी सस्पेंड किए गए हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम राज्य सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति को और मजबूती प्रदान करता है। सीएम योगी का कहना है कि प्रदेश में सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में सहन नहीं किया जाएगा, और किसी भी स्तर पर यह पाया गया तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।सूत्रों के अनुसार, ये सभी अधिकारी विभिन्न विभागों में पदस्थ थे और जांच के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त पाए गए थे। इन आरोपों में वित्तीय अनियमितताओं से लेकर सरकारी धन के दुरुपयोग और अनुशासनहीनता तक शामिल हैं। इन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ लंबी जांच प्रक्रिया के बाद अब निलंबन की कार्रवाई की गई है।अभिषेक प्रकाश, जो कि एक प्रभावशाली आईएएस अधिकारी रहे हैं, पर भी गंभीर आरोप हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के विकास कार्यों से संबंधित कई मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप में घिरा हुआ पाया गया है। उनका सस्पेंशन सरकार के लिए एक अहम संदेश है कि उच्च पदों पर बैठे लोग भी कानून और नियमों से ऊपर नहीं हैं।इस सख्त कार्रवाई को लेकर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। कुछ विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह कदम चुनावी साल में राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से उठाया गया है, जबकि कुछ का यह भी कहना है कि सरकार केवल दिखावे के लिए कार्रवाई कर रही है। हालांकि, योगी सरकार ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि यह कदम केवल और केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ है, और हर स्तर पर जिम्मेदारी तय की जाएगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के अधिकारियों और कर्मचारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।यूपी सरकार की यह कार्रवाई राज्य में सरकारी तंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए अहम मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि इस कार्रवाई का असर बाकी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कैसे पड़ता है और क्या यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देगा।इस फैसले के बाद, राज्य में अन्य विभागों में भी जांच प्रक्रिया तेज की जा सकती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को और सख्त करने के लिए तैयार है।