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Chardham Yatra: हेली सेवा के नाम पर साइबर ठग हर साल 50 लोगों को बना रहे शिकार, केस स्टडी से जानें उनके झांसे का तरीका - The Indian Exposure

Chardham Yatra: हेली सेवा के नाम पर साइबर ठग हर साल 50 लोगों को बना रहे शिकार, केस स्टडी से जानें उनके झांसे का तरीका

उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम यात्रा के दौरान, जहां लाखों श्रद्धालु धर्म लाभ प्राप्त करने के लिए आते हैं, वहीं साइबर ठग भी अपनी सक्रियता बढ़ा चुके हैं। खासकर हेली सेवा के नाम पर हर साल करीब 50 लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। ठगों ने अपनी जालसाजी के तरीके को इतना परिष्कृत कर लिया है कि आम लोग आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं। ऐसे ठग पहले तो हेली सेवा के लिए नकली वेबसाइट और संपर्क नंबर बनाते हैं, और फिर श्रद्धालुओं को अपनी चपेट में ले लेते हैं।

कैसे काम करते हैं साइबर ठग?

साइबर ठग अक्सर यह दावा करते हैं कि वे चारधाम यात्रा के लिए हेली सेवा प्रदान कर रहे हैं। इसके लिए वे सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं। वे अक्सर यह दावा करते हैं कि उनके पास सरकार द्वारा स्वीकृत हेली सेवा है और इसके लिए काफी सस्ती दरों पर यात्रा की सुविधा दी जाती है। श्रद्धालु जो ऑनलाइन अपनी यात्रा के लिए हेली सेवा का विकल्प तलाश रहे होते हैं, वे आसानी से ठगों के जाल में फंस जाते हैं।

झांसा देने का तरीका:

  1. नकली वेबसाइटें और मोबाइल ऐप्स: ठग अक्सर हेली सेवा की नकली वेबसाइटें बनाते हैं, जहां पर यात्रा की पूरी जानकारी और नकली बुकिंग की प्रक्रिया दी जाती है। यहां तक कि कुछ ठग तो नकली ऐप्स भी बना लेते हैं, जो श्रद्धालुओं को आकर्षक दिखने वाले पैकेज प्रदान करते हैं।
  2. सस्ती दरों का ऑफर: ठग अक्सर सस्ती दरों पर हेली सेवा का ऑफर देते हैं, जो मूल कीमत से बहुत कम होती है। यह आकर्षक ऑफर लोगों को आकर्षित करता है और वे बिना पूरी जानकारी लिए पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
  3. फोन कॉल और व्हाट्सएप मैसेज: ठगों द्वारा किए गए फोन कॉल्स और व्हाट्सएप मैसेज के जरिए हेली सेवा के लिए बुकिंग की जाती है। यह कॉल्स और मैसेज बहुत पेशेवर होते हैं, जिससे श्रद्धालु को विश्वास हो जाता है कि वे सही जगह से संपर्क कर रहे हैं।
  4. फर्जी डॉक्यूमेंट्स: ठग कई बार नकली टिकट और अन्य दस्तावेज भेजकर श्रद्धालुओं को यकीन दिलाते हैं कि उनकी यात्रा की बुकिंग हो चुकी है। श्रद्धालु जब इन दस्तावेजों को देखता है, तो वह समझता है कि उसकी यात्रा की योजना सही तरीके से बन गई है।

फिर क्या होता है?

जब श्रद्धालु हेली सेवा के लिए तय तारीख पर हेलीपैड पर पहुंचता है, तो उसे वहां किसी भी हेलीकॉप्टर की सेवा नहीं मिलती। ठगों द्वारा ली गई अग्रिम रकम गायब हो जाती है और श्रद्धालु के पास कोई विकल्प नहीं बचता। इस स्थिति में कई लोग पुलिस के पास शिकायत करने जाते हैं, लेकिन ठग अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों में होते हैं, जिससे उन्हें पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है।

कैसे बचें साइबर ठगी से?

  1. विश्वसनीय स्रोतों से बुकिंग करें: हेली सेवा की बुकिंग हमेशा आधिकारिक और विश्वसनीय वेबसाइटों या एजेंसियों के माध्यम से करें। सरकार द्वारा स्वीकृत एजेंसियों से ही हेली सेवा बुक करें।
  2. सस्ती सेवाओं से बचें: अगर कोई हेली सेवा बहुत सस्ती कीमत पर ऑफर कर रहा है, तो यह एक चेतावनी संकेत हो सकता है। कभी भी अतिरिक्ट सस्ती सेवाओं पर भरोसा न करें।
  3. जांच-पड़ताल करें: किसी भी वेबसाइट या ऐप पर बुकिंग करने से पहले उसकी जांच करें। उसकी प्रमाणिकता और रिव्यूज को देखें।
  4. अधिकारिक नंबर से संपर्क करें: हेली सेवा के लिए बुकिंग करते समय केवल आधिकारिक नंबर और ईमेल का ही इस्तेमाल करें।
  5. कागजात को सही से जांचें: बुकिंग के बाद मिलने वाले सभी दस्तावेज़ों की जांच करें। किसी भी असामान्य जानकारी पर शक करें और फर्जी दस्तावेज़ों से बचें।

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