उद्धव ठाकरे ने कुणाल कामरा का किया बचाव, कहा- ‘जो गद्दार है, वो गद्दार है, कामरा ने कुछ गलत नहीं कहा’

कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ हाल ही में उठे विवाद के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने उनका खुलकर बचाव किया। उद्धव ठाकरे ने बयान देते हुए कहा कि “जो गद्दार है, वह गद्दार है,” और यह भी कहा कि कुणाल कामरा ने कुछ गलत नहीं कहा है। उद्धव ठाकरे ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कामरा के वक्तव्य को सही ठहराया और यह स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता।कुणाल कामरा, जो सोशल मीडिया पर अपने तीखे और विवादास्पद हास्य के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में अपने एक बयान को लेकर सुर्खियों में थे। उन्होंने कुछ समय पहले एक सार्वजनिक मंच पर भारतीय राजनीति और सरकार से जुड़े सवाल उठाए थे, जिसके बाद कुछ राजनीतिक और समाजिक समूहों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी। उनके बयान को लेकर विवाद तब बढ़ा, जब उन्हें “गद्दार” करार दिया गया और उन पर देशद्रोह के आरोप लगाए गए।इस विवाद के बीच, उद्धव ठाकरे ने कामरा का समर्थन किया और कहा कि किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता को उनके विचार व्यक्त करने से नहीं रोका जा सकता। ठाकरे ने कहा कि “अगर किसी ने अपना विचार व्यक्त किया है, तो उसे गद्दार कहना उचित नहीं है। कुणाल ने किसी भी तरह की अभिव्यक्ति में कुछ गलत नहीं किया, उन्होंने सिर्फ अपनी राय रखी है।” ठाकरे ने यह भी कहा कि किसी को भी अपनी राय और विचारों को खुलकर व्यक्त करने का अधिकार होना चाहिए, और यदि किसी के विचार सरकार या राजनीति से अलग हैं, तो इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि गद्दारी के रूप में।शिवसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विरोधी विचारों को दबाने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार अपनी नीतियों और फैसलों के बारे में आलोचनाओं का सामना नहीं कर सकती है, तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। ठाकरे ने यह भी जोड़ा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हर नागरिक को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, और कुणाल कामरा ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे देश की एकता और अखंडता को खतरा हो।कुणाल कामरा का बचाव करते हुए उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि जब तक किसी ने किसी प्रकार का हिंसात्मक या आपत्तिजनक भाषण नहीं दिया है, तब तक किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार है। उनके मुताबिक, इस तरह के मामलों को विवादित बनाने से समाज में असहमति की आवाज़ों को दबाने की कोशिश होती है, जो कि लोकतंत्र के खिलाफ है।वहीं, कुणाल कामरा के समर्थन में उठे इस कदम को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कई लोग उद्धव ठाकरे के इस बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ ने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया। इस विवाद के बढ़ने के साथ, यह भी देखा जा रहा है कि सरकार और समाज में विभिन्न विचारधाराओं के बीच टकराव बढ़ रहा है, जो कि भारतीय राजनीति में एक सामान्य दृश्य बन चुका है।कुल मिलाकर, उद्धव ठाकरे का यह बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर एक मजबूत संदेश देता है और यह दिखाता है कि वे कुणाल कामरा के अधिकारों का समर्थन करते हैं, खासकर जब यह अधिकार लोकतांत्रिक तरीके से व्यक्त किए जा रहे हों।

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