
नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र के दौरान एक और विवाद ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है, जबकि सरकार ने इसे केवल सामान्य विचारधारा का हिस्सा बताया है। इस मुद्दे ने संसद में तीव्र बहस को जन्म दिया, और कांग्रेस ने इसे विरोधी पार्टी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करार दिया। वहीं, संसद में इस विवाद से जुड़ा एक और महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस एक बार फिर संसद में उठाया गया था, जिसे स्पीकर ने खारिज कर दिया। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि शाह ने संसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है, लेकिन स्पीकर की ओर से यह नोटिस खारिज कर दिया गया। इससे विपक्षी नेताओं में नाराजगी पैदा हुई, और उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताया। सोनिया गांधी पर शाह की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस ने अपने विरोध को और अधिक मुखर किया है। पार्टी का कहना है कि यह बयान न केवल गलत है, बल्कि यह महिलाओं के खिलाफ भी असंवेदनशील और अपमानजनक है। कांग्रेस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस मुद्दे पर शाह से सार्वजनिक माफी की मांग की है। सरकार ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि शाह का बयान केवल राजनीतिक विमर्श का हिस्सा था और इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्तिगत अपमान को बढ़ावा देना नहीं था। सरकार ने यह भी कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को unnecessarily तूल दे रहा है, जबकि संसद में अपने कामकाज पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, विपक्षी दलों ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अपने खिलाफ उठ रहे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के विवादों को हवा दे रही है। उन्होंने कहा कि यह मामले संसद में केवल शोरगुल पैदा करने के लिए नहीं उठाए जा रहे, बल्कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सार्वजनिक जीवन में नैतिकता के उल्लंघन के खिलाफ हैं। इस बीच, संसद में जारी बजट सत्र के दौरान इस विवाद ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है, और अब यह देखना होगा कि क्या इस मामले में सरकार या विपक्ष कोई अन्य कदम उठाएंगे। संसद के इस सत्र में बजट पर बहस जारी है, और अब तक की घटनाओं ने इस सत्र को एक नई दिशा में मोड़ दिया है।