“झारखंड बंद: रांची में असर दिखा, संजय सेठ सहित कई BJP नेताओं को हिरासत में लिया गया”

रांची: झारखंड में आज आयोजित बंद का असर रांची शहर में देखने को मिला, जहां कई प्रमुख मार्गों पर व्यवसायिक प्रतिष्ठान और दुकानें बंद रही। राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों और सरकार विरोधी मुद्दों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस बंद का आह्वान किया था। भाजपा कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और राज्य सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता संजय सेठ सहित कई अन्य नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।रांची शहर में बंद के दौरान कई स्थानों पर दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद रखा, जबकि कुछ अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर प्रदर्शनकारियों का दबाव था। राज्य सरकार की ओर से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी और पुलिस ने बंद समर्थकों के साथ सख्ती से निपटने की तैयारी की थी। विरोध प्रदर्शन के दौरान रैली निकालने, जाम लगाने और सड़कों को अवरुद्ध करने की कोशिश की गई, जिसे पुलिस ने जल्दी ही नियंत्रित कर लिया।पुलिस ने भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, जिनमें पार्टी के रांची जिला अध्यक्ष संजय सेठ का नाम प्रमुख है। संजय सेठ और अन्य नेताओं पर सड़कों पर अव्यवस्था फैलाने और विरोध प्रदर्शन को हिंसक बनाने का आरोप था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया और सभी प्रदर्शनकारियों को शांति से प्रदर्शन करने की सलाह दी गई।भा.ज.पा. नेताओं का कहना था कि यह बंद झारखंड की जनता की समस्याओं को उजागर करने और सरकार के खिलाफ अपने गुस्से का प्रदर्शन करने के लिए था। पार्टी का आरोप था कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और कृषि संकट जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है, और इसके विरोध में उन्होंने यह बंद बुलाया। भाजपा के नेताओं ने इस प्रदर्शन को राज्य सरकार के खिलाफ एक लोकतांत्रिक आवाज के रूप में देखा और उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगों को नहीं सुना जाएगा, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा।राज्य सरकार की ओर से इस बंद को लेकर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई, लेकिन प्रशासन ने शांति बनाए रखने और हिंसा से बचने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। रांची शहर में तैनात पुलिस बल ने कई स्थानों पर फ्लैग मार्च भी किया और शांतिपूर्ण तरीके से बंद को खत्म करने की कोशिश की।हालांकि, यह बंद शांतिपूर्वक समाप्त हो गया, लेकिन यह स्पष्ट था कि झारखंड में सरकार और विपक्ष के बीच तनाव और असंतोष बढ़ता जा रहा है, जो आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।

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