Waqf Bill: सोनिया गांधी ने वक्फ बिल को लेकर सरकार की जल्दबाजी पर उठाए सवाल, कहा ‘जबरन पारित कराया गया’

कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में संसद में पारित हुए वक्फ बिल पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह बिल सरकार ने बिना किसी उचित चर्चा और परामर्श के ‘जबरन पारित’ कराया है। सोनिया गांधी ने सरकार की इस जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए हानिकारक और बिना सोचे-समझे कदम बताया।सोनिया गांधी ने कहा कि वक्फ बिल में महत्वपूर्ण प्रावधान हैं, जिनका व्यापक असर देश के वक्फ बोर्डों, मस्जिदों और अन्य धार्मिक संस्थाओं पर पड़ेगा, और ऐसे में इसे बिना संसद में गंभीर विचार-विमर्श के पारित करना गलत है। उनका कहना था कि इस विधेयक को संसद में प्रभावी तरीके से चर्चा के लिए लाया जाना चाहिए था, ताकि इसे पारित करने से पहले सभी पक्षों की चिंता और आपत्तियों को सुना जा सके।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य पार्टी नेताओं ने भी इस बिल को लेकर सरकार की आलोचना की। उनका कहना है कि इस विधेयक के पारित होने से वक्फ संपत्तियों का नियंत्रण और प्रबंधन सरकार के हाथों में अधिक मजबूत हो सकता है, जिससे धार्मिक संस्थाओं के आत्मनिर्णय के अधिकार पर असर पड़ेगा।इस बिल में सरकार को वक्फ संपत्तियों का अधिक नियंत्रण देने के प्रावधान हैं, जिसके बारे में सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं का मानना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और वक्फ बोर्डों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम धार्मिक संस्थाओं और उनकी संपत्तियों पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है, जो कि एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।कांग्रेस ने कहा कि सरकार को यह बिल पारित करने से पहले उन समुदायों और संगठनों से विचार-विमर्श करना चाहिए था, जो इस विधेयक से प्रभावित होंगे। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कर न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन किया, बल्कि इससे उन लाखों लोगों की आस्थाओं को भी आघात पहुँचाया, जो वक्फ संपत्तियों से जुड़े हुए हैं।सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि यह विधेयक न केवल वक्फ बोर्डों के संचालन पर असर डालेगा, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अविश्वास और ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने इसे एक राजनीतिक चाल बताया, जो आगामी चुनावों में धर्म के नाम पर वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है।सोनिया गांधी के इस बयान के बाद, वक्फ विधेयक को लेकर संसद में चर्चा और अधिक गर्म हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक को लेकर एक विस्तृत आंदोलन की भी योजना बनाई है, ताकि इसे संसद में फिर से विचार के लिए भेजा जा सके और इसके प्रावधानों पर गहन समीक्षा की जा सके। पार्टी का कहना है कि यह मुद्दा केवल वक्फ संपत्तियों के अधिकारों का नहीं है, बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना का भी प्रश्न है।वहीं, सरकार ने इस विधेयक को पारित करते हुए दावा किया है कि इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और उनके विकास के लिए एक मजबूत और पारदर्शी प्रणाली स्थापित करना है। सरकार का कहना है कि इस विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों का उपयोग समाज की भलाई के लिए किया जाएगा और इससे किसी भी प्रकार के कुप्रबंधन को रोका जाएगा।इस विवादित बिल पर अब तक कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं तीव्र रही हैं, और इसे लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। आने वाले दिनों में इस बिल को लेकर और अधिक चर्चा और विरोध हो सकता है, खासकर जब इसे राज्यों और संबंधित समुदायों से समर्थन और प्रतिक्रिया मिलनी शुरू होगी।