
इंडियन मुस्लिम लीग (IML) ने कांग्रेस के सांसदों के एक हालिया कदम को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है, जिसे उन्होंने ‘काला धब्बा’ करार दिया है। यह विवाद तब उठ खड़ा हुआ जब कांग्रेस के एक सांसद ने वक्फ बिल से जुड़े मुद्दे पर एक बयान दिया, जो इंडियन मुस्लिम लीग और अन्य मुस्लिम संगठनों को बेहद आपत्ति जनक लगा। पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी से स्पष्टीकरण की मांग की है।इंडियन मुस्लिम लीग के नेताओं ने कहा कि वक्फ बिल पर कांग्रेस सांसद का यह कदम मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के खिलाफ है और इसे धर्मनिरपेक्ष राजनीति के सिद्धांतों के खिलाफ माना जा रहा है। सांसद का यह कदम मुस्लिम समाज के लिए एक ‘काला धब्बा’ है, क्योंकि इससे मुसलमानों के वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में उनके अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। वक्फ संपत्तियां, जो धार्मिक और सार्वजनिक उपयोग के लिए होती हैं, उनके प्रबंधन के अधिकारों को लेकर यह विवाद गहरा गया है।इंडियन मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व राहुल और प्रियंका गांधी से अपेक्षाएं जताई हैं कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और मुस्लिम समाज की भावनाओं को समझते हुए उचित कार्रवाई करें। पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का यह कदम हिंदू-राष्ट्रवादी राजनीति की ओर इशारा करता है और इससे मुस्लिम समुदाय को पीछे धकेलने की कोशिश की जा रही है। इस विवाद को लेकर इंडियन मुस्लिम लीग ने कांग्रेस से यह सवाल पूछा है कि क्या पार्टी मुस्लिम समुदाय के हितों को नजरअंदाज कर रही है और क्या यह भारतीय समाज में साम्प्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देने का प्रयास है। IML ने यह भी कहा कि कांग्रेस को अपने वचन और सिद्धांतों के अनुसार मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का संरक्षण करना चाहिए। पार्टी ने कांग्रेस नेताओं से यह भी पूछा कि क्या वे मुस्लिम समाज के साथ खड़े रहेंगे, या फिर किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की अनदेखी करेंगे। वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस विवाद पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के अंदर इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं जारी हैं। कुछ कांग्रेस नेता मानते हैं कि इस कदम से पार्टी को कोई विशेष राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा, और इससे मुस्लिम समुदाय में असंतोष फैलने की संभावना है। कांग्रेस अब इस मामले में एक संतुलित और सोच-समझकर निर्णय लेने की कोशिश कर रही है ताकि आगामी चुनावों में पार्टी के समर्थन में कोई कमी न हो। इस पूरे विवाद ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके अधिकारों को लेकर एक और गंभीर बहस को जन्म दिया है, और यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय राजनीति में धार्मिक मुद्दे अब और अधिक जटिल हो गए हैं। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस इस विवाद से कैसे निपटती है और क्या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इस मुद्दे पर अपनी पार्टी की स्थिति को स्पष्ट करते हैं।