“उत्त्तराखंड: सीएम धामी ने डीएम को दिए निर्देश, पेयजल आपूर्ति और जंगल की आग पर ध्यान केंद्रित करने का आदेश”

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों (डीएम) को महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। उन्होंने खासतौर पर पेयजल आपूर्ति और जंगलों में लगने वाली आग के नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने की बात कही है।मुख्यमंत्री धामी ने सभी डीएम से यह सुनिश्चित करने को कहा कि राज्यभर में पानी की आपूर्ति में कोई कमी न हो, खासकर गर्मी के मौसम में जब जलसंकट की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने इस दौरान अधिकारियों से यह भी कहा कि पेयजल के वितरण में किसी प्रकार की लापरवाही न हो, और हर गांव, कस्बे और शहर में पानी की आपूर्ति समय पर की जाए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने जल संकट से निपटने के लिए आवश्यक उपायों को तुरंत लागू करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य के जंगलों में आग की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाए। पिछले कुछ वर्षों में गर्मी के मौसम में जंगलों में आग की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक है और स्थानीय निवासियों के लिए भी एक बड़ी चिंता का विषय बन जाती है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से कहा कि वे जंगलों में आग लगने से पहले ही आग बुझाने के उपायों को लागू करें और इस दिशा में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि वे जंगलों में आग की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाएं और स्थानीय निवासियों को आग से बचने के उपायों के बारे में अवगत कराएं। उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय और वन विभाग को भी इस दिशा में विशेष रूप से कार्य करने का निर्देश दिया।इन निर्देशों के बाद अब जिला प्रशासन ने जल संकट और जंगल की आग को नियंत्रित करने के लिए अपनी योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार की यह पहल न केवल जल संकट से निपटने में मदद करेगी, बल्कि जंगलों में आग की घटनाओं पर भी काबू पाएगी, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलेगी।मुख्यमंत्री धामी ने राज्यवासियों से भी अपील की कि वे जल का सदुपयोग करें और जंगलों में आग लगाने जैसी गलत हरकतों से बचें। उन्होंने नागरिकों को यह समझाने का भी प्रयास किया कि जंगलों की आग केवल वन्यजीवों और पेड़-पौधों के लिए ही नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकती है। यह कदम मुख्यमंत्री धामी की प्रशासनिक सक्रियता को दर्शाता है, जो राज्य में विभिन्न मुद्दों को गंभीरता से लेकर उनके समाधान के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।