
उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित चंद्रिका देवी मंदिर में हाल ही में एक शर्मनाक घटना सामने आई, जब दुकानदारों ने श्रद्धालुओं के साथ बुरी तरह से मारपीट की और उन्हें प्रसाद लेने से मना कर दिया। यह घटना मंदिर परिसर में घटी, जब श्रद्धालु अपनी धार्मिक आस्था के तहत प्रसाद लेने गए थे, लेकिन दुकानदारों ने उन्हें इस पर रोक लगा दी और इसके बाद उन पर हमलावर हो गए। बताया जा रहा है कि दुकानदारों ने श्रद्धालुओं को दौड़ाकर पीटा और उनका उत्पीड़न किया।घटना के बाद मंदिर परिसर में हड़कंप मच गया और श्रद्धालुओं के बीच डर और घबराहट फैल गई। यह भी सामने आया कि दुकानदारों का व्यवहार बहुत ही आक्रामक था, और उन्होंने न केवल श्रद्धालुओं को मारने की कोशिश की, बल्कि उन्हें मंदिर के भीतर प्रवेश करने से भी मना किया। कुछ श्रद्धालुओं ने इस घटना का विरोध किया, जिसके बाद दुकानदारों ने उन्हें अपशब्द कहे और उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया।चंद्रिका देवी मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां हर दिन हजारों श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं। इस घटना ने श्रद्धालुओं के बीच मंदिर के वातावरण को लेकर असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन से इस मामले पर सख्त कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।इस घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने घटनास्थल से कुछ वीडियोज़ भी प्राप्त किए हैं, जिनमें दुकानदारों द्वारा श्रद्धालुओं के साथ की गई हिंसा स्पष्ट दिखाई दे रही है। हालांकि, अभी तक किसी भी आरोपी दुकानदार के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन पुलिस प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह घटनाएं मंदिर के प्रशासन और दुकानदारों के बीच अनुशासन की कमी को दर्शाती हैं। कई लोगों ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है, और यह सवाल उठाया है कि आखिर श्रद्धालुओं को अपनी आस्था के साथ मंदिर में पूजा करने का अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा।इस बीच, मंदिर प्रबंधन ने इस घटना पर खेद व्यक्त किया है और विश्वास दिलाया है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। वहीं, श्रद्धालुओं ने प्रशासन से मांग की है कि मंदिर परिसर में अनुशासन और सुरक्षा के उपायों को सख्त किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।यह घटना धार्मिक स्थलों पर अनुशासन और श्रद्धालुओं के सम्मान को बनाए रखने की आवश्यकता को फिर से उजागर करती है। सभी का यह मानना है कि मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को बिना किसी डर के अपनी धार्मिक आस्थाओं का पालन करने का पूरा अधिकार है, और इस प्रकार की घटनाओं से न केवल मंदिर की पवित्रता पर प्रश्न उठते हैं, बल्कि श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को भी गहरी ठेस पहुँचती है।