“उत्तरकाशी की मथोली महिलाएं: होम स्टे और विलेज टूर की पेशकश से पर्यटन को मिला नया आयाम”

उत्तरकाशी: होम स्टे संचालन में मथोली गांव की महिलाएं बनीं मिसाल, पर्यटकों को विलेज टूर तक कराती हैं

उत्तरकाशी का मथोली गांव इन दिनों न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता बल्कि वहां की महिलाओं द्वारा संचालित होम स्टे और पर्यटक गतिविधियों के लिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है। यह गांव उत्तराखंड के ग्रामीण पर्यटन की बेहतरीन मिसाल प्रस्तुत करता है, जहां स्थानीय महिलाएं न केवल अपनी पारंपरिक जिम्मेदारियों को निभा रही हैं, बल्कि पर्यटन क्षेत्र में भी सक्रिय रूप से अपनी पहचान बना रही हैं। मथोली गांव की महिलाएं अब पर्यटकों को सिर्फ होम स्टे ही नहीं, बल्कि गांव के हर कोने का अनुभव देने के लिए विलेज टूर भी आयोजित करती हैं।

महिलाओं का आत्मनिर्भरता की ओर कदम

मथोली गांव में कई सालों से महिलाएं अपने परिवार के साथ घरों में होम स्टे चला रही हैं, और अब यह क्षेत्र घरेलू पर्यटन के लिए एक आदर्श बन चुका है। यहां रहने वाले लोग अपनी पारंपरिक जीवनशैली, कृषि कार्य, और सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं। इन महिलाओं का मानना है कि होम स्टे से उन्हें न केवल आर्थिक लाभ मिल रहा है, बल्कि यह उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।रचना देवी, मथोली गांव की एक महिला उद्यमी, बताती हैं, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे छोटे से गांव में भी लोग आयेंगे और हमारे घरों में रहकर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव करेंगे। लेकिन जब से हम होम स्टे चला रहे हैं, हमारे गांव की पहचान भी बदल गई है। अब हम न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे हैं, बल्कि हम दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं।”

विलेज टूर: एक नई पहल

मथोली गांव की महिलाएं अब पर्यटकों को सिर्फ अपने घरों में ठहरने की सुविधा नहीं देतीं, बल्कि उन्हें एक विशेष विलेज टूर भी कराती हैं, जिसमें वे गांव की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित कराती हैं। इस टूर के दौरान पर्यटक गांव के खेतों में काम करने, पारंपरिक खानपान का स्वाद लेने, और स्थानीय हस्तशिल्प कला का अनुभव करने का मौका पाते हैं। यह टूर न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षक होता है, बल्कि गांव की महिलाओं को भी अपनी कला और संस्कृति को पेश करने का एक बेहतरीन मंच मिलता है।महिला उद्यमियों का कहना है कि यह पहल गांव के विकास में भी मददगार साबित हो रही है। सास-बहू मिलकर पर्यटकों को उनके खेतों में काम करने का अनुभव कराती हैं, जिसमें पर्यटक खुद फूलों की खेती, सब्जियां उगाने और गांव के पारंपरिक तरीकों से खेती करने का अनुभव करते हैं। इसके अलावा, पर्यटकों को गांव के ऐतिहासिक मंदिरों और स्थानीय संस्कृति से जुड़े स्थलों का भी दौरा कराया जाता है।

स्थानीय जीवनशैली को बढ़ावा देना

यह होम स्टे और विलेज टूर न केवल स्थानीय महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि यह गांव की पारंपरिक जीवनशैली को बढ़ावा देने का एक शानदार तरीका भी बन चुका है। यहां के ग्रामीण, विशेषकर महिलाएं, अब खुद को सिर्फ गृहिणी के रूप में नहीं, बल्कि एक सफल व्यवसायी के रूप में भी देख रही हैं।इससे न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है, बल्कि यह उनके आत्मसम्मान को भी बढ़ावा दे रहा है। जैसे-जैसे इस मॉडल की सफलता फैल रही है, अन्य गांवों की महिलाएं भी मथोली गांव की महिलाओं से प्रेरणा लेकर होम स्टे और पर्यटन गतिविधियों को अपनाने लगी हैं।

पर्यटन विभाग की पहल और भविष्य की दिशा

उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने मथोली गांव की इस पहल को सराहा है और इसे बढ़ावा देने के लिए भी कई योजनाओं पर काम कर रहा है। विभाग का मानना है कि इस तरह के ग्रामीण पर्यटन से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है। विभाग ने इस मॉडल को अन्य गांवों में भी लागू करने का विचार किया है ताकि पूरे राज्य में ग्रामीण पर्यटन को एक नई दिशा मिल सके।उत्तराखंड पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “मथोली गांव की महिलाएं इस क्षेत्र में एक मिसाल बन चुकी हैं। उनका मॉडल अन्य गांवों में लागू करने से न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह राज्य के पर्यटन क्षेत्र को भी नया आयाम प्रदान करेगा।”

आत्मनिर्भरता और ग्रामीण विकास की दिशा में एक कदम और

मथोली गांव की महिलाओं द्वारा संचालित होम स्टे और विलेज टूर न केवल उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत है, बल्कि यह राज्य के ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इन महिलाओं ने साबित कर दिया है कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो किसी भी गांव को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। अब यह उम्मीद की जा रही है कि मथोली की इस पहल को देखकर अन्य गांवों में भी महिलाओं द्वारा इस तरह के प्रयास किए जाएंगे, जिससे पूरे राज्य में ग्रामीण पर्यटन को एक नई पहचान मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5464