
देहरादून। उत्तराखंड में इस बार चारधाम यात्रा और पंचायत चुनाव की तारीख़ें एक-दूसरे के क़रीब आने से प्रशासन के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। यात्रा सीज़न शुरू होते ही लाखों श्रद्धालु प्रदेश की ओर रुख़ करते हैं, वहीं दूसरी तरफ़ राज्य के ग्रामीण इलाकों में पंचायत चुनाव कराना भी एक संवैधानिक ज़िम्मेदारी है। ऐसे में प्रशासनिक अमले की भारी कमी और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस कारण चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं पर भी असर पड़ सकता है।जानकारी के मुताबिक़, राज्य सरकार और चुनाव आयोग के बीच अब तक इस मुद्दे पर स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई है। अगर पंचायत चुनाव और चारधाम यात्रा एक ही समय में होते हैं, तो पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की उपलब्धता पर संकट खड़ा हो जाएगा। जिसके चलते यात्रा की सुरक्षा और व्यवस्था दोनों प्रभावित हो सकती हैं।
कैबिनेट बैठक में नहीं आया ओबीसी आरक्षण अध्यादेश
इसके साथ ही बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में बहुप्रतीक्षित ओबीसी आरक्षण अध्यादेश का मसला भी टल गया। ओबीसी समुदाय को स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाया जाना था, लेकिन यह प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक के एजेंडे में ही नहीं लाया गया। इससे ओबीसी वर्ग में नाराज़गी की स्थिति बन गई है।सरकार की ओर से फ़िलहाल यह कहा गया है कि मामले की समीक्षा की जा रही है और जल्द ही इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार पंचायत चुनाव और ओबीसी आरक्षण दोनों को लेकर दबाव में है।
क्या कहती है प्रशासनिक व्यवस्था?
चारधाम यात्रा के दौरान हर साल करोड़ों श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा करते हैं। यह प्रदेश के पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन पंचायत चुनाव में सुरक्षा बलों और अधिकारियों की भारी तैनाती की ज़रूरत होती है। ऐसे में एक साथ दोनों बड़ी ज़िम्मेदारियों को संभालना प्रशासन के लिए मुश्किल हो सकता है।अधिकारियों का कहना है कि अगर चुनाव और यात्रा एक ही समय में होते हैं, तो या तो चारधाम यात्रा की तारीख़ों में बदलाव करना पड़ेगा या पंचायत चुनाव को आगे बढ़ाना होगा। फिलहाल राज्य सरकार इस दुविधा में फंसी है। दोनों ही मामलों में जनता की भावनाएँ जुड़ी हुई हैं। चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आस्था और पर्यटन व्यवस्था की रीढ़ है, वहीं पंचायत चुनाव लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। देखना होगा कि सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए क्या निर्णय लेती है।