
पांच साल के लंबे इंतज़ार के बाद एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए ‘स्वर्ग’ का रास्ता खोलने की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा, जो कोरोना महामारी और चीन सीमा पर तनाव के चलते पिछले कई वर्षों से स्थगित थी, अब 2025 में दोबारा शुरू होने जा रही है। विदेश मंत्रालय ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी है और यात्रा की तिथि व रूट को लेकर भी अहम जानकारी साझा कर दी गई है। हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के पवित्र धाम कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शन के लिए इस कठिन लेकिन बेहद श्रद्धामय यात्रा पर निकलते थे, जो अब पांच साल बाद फिर से संभव हो पाएगा।इस बार यात्रा के रूट में भी अहम बदलाव किया गया है। पहले भारत-चीन सीमा के लिपुलेख दर्रे से होकर यह यात्रा होती थी, लेकिन अब सुरक्षा कारणों और सीमाई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिपुलेख के साथ-साथ नाथूला दर्रे के ज़रिए भी श्रद्धालुओं को यात्रा की सुविधा दी जाएगी। इस बार यात्रा का प्रमुख पड़ाव उत्तराखंड के धारचूला से लिपुलेख और सिक्किम के नाथूला दर्रे से तिब्बत तक रहेगा। यात्रियों को दो रूट विकल्प दिए जाएंगे, जिससे लोगों को भीड़ और असुविधा से बचाने में मदद मिलेगी।कैलाश मानसरोवर यात्रा अपनी कठिनाई और आध्यात्मिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। समुद्र तल से लगभग 21,778 फीट की ऊंचाई पर स्थित कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और मानसरोवर झील को मोक्षदायिनी। हर साल हजारों श्रद्धालु इस यात्रा पर निकलते थे, लेकिन 2020 से ये यात्रा महामारी और चीन के साथ सीमा विवाद के चलते बंद कर दी गई थी। अब हालात सामान्य होने और दोनों देशों के बीच सहमति बनने के बाद विदेश मंत्रालय ने यात्रा फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है।यात्रा के लिए आवेदन प्रक्रिया जल्द ही विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर शुरू कर दी जाएगी। यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण, पासपोर्ट अनिवार्यता और फिटनेस सर्टिफिकेट की व्यवस्था पहले की तरह इस बार भी लागू रहेगी। इसके अलावा कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत यात्रा की संख्या सीमित रखी जाएगी और यात्रियों को यात्रा से पहले पूरी वैक्सीनेशन डोज़ और स्वास्थ्य रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।इस बार यात्रा मार्ग पर बेहतर सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्था की भी तैयारी की जा रही है। धारचूला, गूंजी और कालापानी में नए बेस कैंप बनाए गए हैं, जहां श्रद्धालुओं को रुकने, खाने और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा दी जाएगी। यात्रा मार्ग पर आपातकालीन हेलीकॉप्टर सेवाएं, मेडिकल कैंप और संचार व्यवस्था को भी पहले से ज्यादा मजबूत किया जा रहा है। इसके अलावा यात्रियों के लिए गाइड, सुरक्षा कर्मियों और चिकित्सा दलों की तैनाती सुनिश्चित की गई है।पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि उत्तराखंड और सिक्किम के सीमांत इलाकों के लिए भी बड़ी राहत और सौभाग्य की बात है। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। अब सभी की निगाहें यात्रा की औपचारिक शुरुआत और इसके सुरक्षित संचालन पर टिकी हैं। श्रद्धालु भी बेसब्री से उस पवित्र क्षण का इंतज़ार कर रहे हैं, जब एक बार फिर वे कैलाश पर्वत की परिक्रमा और मानसरोवर स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकें।यात्रा की औपचारिक तिथि और आवेदन प्रक्रिया का विस्तृत शेड्यूल अगले कुछ हफ्तों में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी कर दिया जाएगा। श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे यात्रा के लिए शारीरिक रूप से फिट रहें और निर्धारित समय पर सभी जरूरी दस्तावेज़ व स्वास्थ्य जांच पूरी करें, ताकि इस बार की यात्रा न केवल दिव्य बल्कि सुरक्षित और व्यवस्थित भी हो सके।