
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को महत्वपूर्ण मुलाकातों का सिलसिला शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे से मुलाकात की और हमले के बाद की स्थिति पर चर्चा की। इस बैठक के बाद, राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की, जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले के संदर्भ में सुरक्षा और शांति की बहाली को लेकर गंभीर चर्चाएं की। इन दोनों उच्चस्तरीय बैठकें देश के सुरक्षा परिदृश्य और कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती हैं।पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद, यह स्पष्ट हो गया था कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार, दोनों ही इस हमले को लेकर गंभीर हैं। जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इन मुलाकातों के जरिए सुरक्षा बलों और प्रशासन को स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक निर्देश दिए हैं। रक्षामंत्री ने आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे से भी हमले के परिणामों पर चर्चा की और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। इसके बाद, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी विस्तृत विचार-विमर्श किया और केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही आतंकवाद को लेकर नए सुरक्षा उपायों को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया।इन बैठक के बाद, राजनाथ सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद संसदीय समिति की बैठक आयोजित की जाएगी, जो दोपहर 3 बजे शुरू होगी। इस बैठक में कश्मीर में हालिया हमलों की स्थिति पर चर्चा की जाएगी और सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कदमों पर विचार किया जाएगा। संसदीय समिति की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया जाएगा कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएं ताकि कश्मीर घाटी में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ पूरी तरह से संकल्पित है और आतंकवादियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति सरकार की संवेदनाएं हैं और उन्हें हर संभव सहायता दी जाएगी।
केंद्र सरकार का रुख:
सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वे आतंकवादियों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करें। इसके अलावा, भारत सरकार आतंकवाद की इस नई लहर से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के कदम भी उठा रही है। इसके लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चौकियों की संख्या बढ़ाने, क्षेत्रीय निगरानी को और सख्त बनाने और आतंकवादियों के खिलाफ बेहतर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया:
इस घटना के बाद जम्मू और कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दीं हैं। कश्मीर घाटी में आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को लेकर सरकार से कड़े कदम उठाने की अपील की गई है। विपक्षी दलों ने भी इस हमले की निंदा की और जम्मू-कश्मीर में शांति और सुरक्षा बहाल करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया। संसदीय समिति की बैठक में किए गए फैसलों के बाद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार की तरफ से कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए कौन से नए कदम उठाए जाते हैं। हालांकि, इन मुलाकातों और बैठक के बाद एक बात स्पष्ट हो गई है कि केंद्र सरकार कश्मीर में शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, और आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।इस समय देश भर में पहलगाम हमले को लेकर चिंता बनी हुई है, और यह महत्वपूर्ण है कि सरकार के द्वारा उठाए गए कदम कितने प्रभावी होंगे, ताकि नागरिकों को सुरक्षा का अहसास हो सके।