
देहरादून। उत्तराखंड सरकार राज्य में लघु एवं मध्यम उद्योगों (SMEs), स्टार्टअप्स और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक नीति लागू करने जा रही है। इस नई ऋण नीति के तहत, यदि कोई इच्छुक व्यक्ति अपने सीमित संसाधनों से छोटा व्यवसाय शुरू करना चाहता है, तो राज्य सरकार उसकी मूल पूंजी के चार गुना तक का ऋण प्रदान करेगी। यह निर्णय मुख्यमंत्री के आर्थिक सुधार मिशन और आत्मनिर्भर भारत के तहत राज्य में रोज़गार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
क्या है योजना का मूल उद्देश्य?
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में रोजगार के सीमित अवसरों और युवा वर्ग के पलायन की समस्या को देखते हुए सरकार का उद्देश्य है कि स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार और सूक्ष्म व्यापारों को बढ़ावा दिया जाए। इस नई नीति के तहत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी इच्छुक युवा या महिला केवल वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण अपने व्यवसायिक सपनों को न त्यागे।सरकारी दस्तावेज़ों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ₹1 लाख का निवेश करने की क्षमता रखता है, तो उसे ₹4 लाख तक का ऋण मिल सकता है, जिससे वह अपने कारोबार को बड़ी शुरुआत दे सकता है। इस ऋण में सब्सिडी और आसान किश्तों की व्यवस्था भी शामिल होगी।
किन्हें मिलेगा लाभ?
यह योजना खासतौर पर निम्नलिखित वर्गों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जा रही है:
- ग्राम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के निवासी
- युवा उद्यमी
- महिलाएं एवं महिला स्वयं सहायता समूह
- प्रवासी कामगार जो कोविड या अन्य कारणों से लौटे हैं
- नवोदित स्टार्टअप फाउंडर्स
आवेदन प्रक्रिया और पात्रता:
सरकार एक पारदर्शी और डिजिटल आवेदन प्रणाली शुरू करेगी, जिससे कोई भी पात्र व्यक्ति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकेगा। इसके लिए आवेदक को अपने व्यवसाय की रूपरेखा, निवेश योजना और स्वयं की वित्तीय स्थिति का संक्षिप्त विवरण देना होगा। इसके पश्चात स्थानीय बैंक शाखा, जिला उद्योग केंद्र और संबंधित विभाग द्वारा जांच की जाएगी और उपयुक्त आवेदकों को ऋण प्रदान किया जाएगा।
सहयोगी संस्थान और वित्तीय भागीदार:
इस योजना को धरातल पर लाने के लिए सरकार विभिन्न बैंकों, राज्य सहकारी संस्थानों, NABARD, SIDBI और स्थानीय माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके अलावा, ऋण लेने वाले उद्यमियों को मार्गदर्शन, स्किल ट्रेनिंग और बिजनेस मेंटरशिप की सुविधा भी दी जाएगी।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया:
मुख्यमंत्री ने अपने एक वक्तव्य में कहा,
“उत्तराखंड का युवा अब केवल नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनेगा। यह ऋण नीति न केवल कारोबार को आसान बनाएगी, बल्कि आत्मनिर्भर उत्तराखंड की नींव रखेगी।”
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना राज्य में आर्थिक गति को नई दिशा देगी और छोटे स्तर पर व्यापार करने वालों के लिए बड़ा अवसर बनेगी। इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आर्थिक असमानता कम होगी और महिला उद्यमिता को विशेष बढ़ावा मिलेगा।योजना को अंतिम रूप देकर आगामी कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। अनुमोदन के बाद इसकी विधिवत शुरुआत की जाएगी और पहले चरण में विभिन्न ज़िलों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा। उत्तराखंड सरकार की यह पहल एक दूरगामी सोच का प्रतीक है। इससे ना सिर्फ छोटे उद्यमों को मजबूती मिलेगी, बल्कि राज्य की आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर एक ठोस कदम भी साबित होगी। यदि यह योजना सफल होती है, तो यह मॉडल देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।